मौजूदा सरकार ने संसद को नोटिस बोर्ड, रबर स्टैम्प में बदल दिया है : शशि थरूर

जयपुर, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शुक्रवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) में आरोप लगाया कि केंद्र में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार संसद को एक ‘नोटिस बोर्ड और रबर स्टैम्प’ में बदलने में कामयाब हो गई है।

यहां ‘सतत लोकतंत्र : लोकतंत्र का पोषण’ विषय पर आयोजित सत्र में थरूर ने दावा किया कि पहले से ही कठोर कानून ‘गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम’ (यूपीए) इस तरीके से और सख्त बना दिया गया है कि सिद्दिक कप्पन जैसे लोगों को बिना जमानत के दो वर्षों तक जेल में रखा जाता है।

उन्होंने कहा, “यह मौजूदा सरकार के उन बहुत से उपायों में से एक है, जिनसे वह संविधान की लोकतांत्रिक भावना को नेस्तनाबूद करने में सफल हो गई है।’

तिरुअनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने इसके साथ ही आरोप लगाया कि सरकार ने आपातकाल की घोषणा किए बिना ही “बहुत से तानाशाहीपूर्ण कदम उठाए हैं।”

उन्होंने कहा, ‘आप इसे अघोषित आपातकाल कह सकते हैं। उन्होंने (सरकार) कानून और संविधान की आड़ लेकर ये सब किया है। यूएपीए को जिस तरह कड़े कानून में बदल दिया गया है, जिसका नतीजा यह हुआ है कि कुछ मामलों में लोगों को बिना आरोपों और बिना जमानत के दो-दो साल तक जेलों में ठूंसा जा रहा है, सिद्दिक कप्पन का मामला ही देख लीजिए।’

थरूर ने साथ ही कहा कि इस प्रकार की घटनाएं इस बारे में सवाल उठाती हैं कि ‘क्या अलोकतांत्रिक तरीके से हमारे संविधान को इतनी आसानी से विकृत किया जा सकता है।’

केरल के पत्रकार सिद्दिक कप्पन को अक्टूबर 2020 में उत्तर प्रदेश के हाथरस की ओर जाते हुए गिरफ्तार कर लिया गया था, जहां दलित महिला की कथित सामूहिक बलात्कार के बाद मौत हो गई थी। उन पर और तीन अन्य पर तब प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से संबंध रखने का आरोप लगाया गया था।

उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल सितंबर में उन्हें उस मामले में जमानत दे दी थी, लेकिन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर धन की हेराफेरी मामले में वह जेल में ही रहे। दिसंबर में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें धन की हेराफेरी मामले में जमानत दे दी थी।

जेएलएफ के 16वें संस्करण में, सरकार को जवाबदेह ठहराने की संसद की क्षमता के बारे में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए थरूर ने कहा, “(जवाहरलाल) नेहरू के जमाने में हमारे पास एक संसद थी, जिसमें सत्तारूढ़ दल के सदस्य भी अपने प्रधानमंत्री को चुनौती दे सकते थे, वित्त मंत्री को पिछली कतार में बैठने वालों द्वारा उजागर किए गए एक घोटाले पर इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था और हमने देखा कि 1962 में चीन से युद्ध के दौरान भी प्रधानमंत्री को संसद में जवाबदेह ठहराया गया था।”

उन्होंने कहा, ‘आज, मुझे यह कहते हुए अफसोस होता है कि… हमारी सरकार ने सफलता के साथ संसद को एक नोटिस बोर्ड और एक रबर स्टैम्प में बदल दिया है। यह (संसद) सरकार के लिए एक नोटिस बोर्ड है, जहां वह जो करना चाहती है, उसकी घोषणा कर देती है और यह रबर स्टैम्प बन गई है, क्योंकि उनके पास जो जबरदस्त बहुमत है, वह बड़े ही आज्ञाकारी तरीके से कैबिनेट से प्राप्त होने वाले विधेयक को जैसे का तैसा पारित कर देता है।”

थरूर ने यह भी कहा कि “शुरूआती सात दशकों में, आपातकाल को छोड़कर, देश में लोकतंत्र की जड़ें गहरी हुई हैं।” उन्होंने कहा, “आपने देखा कि लोकतांत्रिक संस्थानों ने अधिक शक्तियां हासिल कीं। चुनाव आयोग को देखें। आपने एक ऐसे आयोग को देखा है, जिसके पास पहले के पदाधारियों के मुकाबले कहीं अधिक औपचारिक अधिकार थे और वह वास्तव में राजनीतिक दलों और उनके व्यवहार को नियंत्रित करने वाला एक अभेद्य संस्थान बन गया था।” दुनिया में “सबसे बड़े” साहित्यिक उत्सव के रूप में पहचाने जाने वाले जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2023 में अगले तीन दिनों में दुनिया के कुछ सर्वश्रेष्ठ विचारकों, लेखकों और वक्ताओं की मेजबानी की जाएगी।

संगीत समारोहों सहित लगभग 240 सत्रों के 250 वक्ताओं में बुकर पुरस्कार विजेता बर्नार्डिन एवरिस्टो, मार्लन जेम्स और गीतांजलि श्री के अलावा लेखक अमिया श्रीनिवासन, शिक्षाविद डेविड वेंगरो, सांसद वरुण गांधी और इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि शामिल हैं।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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