रूस के कारागारों में यातना झेल रहे अनेक यूक्रेनी नागरिक

कीव, अलीना कपत्स्याना अकसर अपनी मां का फोन आने का सपना देखती है जिसमें उसकी मां उसे बताती है कि वह घर आ रही है।

अप्रैल में पूर्वी यूक्रेन में सेना की वर्दी में पहुंचे लोग 45 वर्षीय वीटा हैनिक को उसके घर से दूर ले गए जो वापस नहीं लौटी।

उसके परिवार को बाद में पता चला कि ‘ब्रेन सिस्ट’ के कारण लंबे समय से दौरे पड़ने की समस्या का सामना कर रही हैनिक दोनेत्स्क क्षेत्र के रूसी कब्जे वाले हिस्से में हिरासत में है।

कपत्स्याना ने एसोसिएटेड प्रेस से कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि उसकी मां को हिरासत में क्यों लिया गया। उसने कहा कि किसी शांतिप्रिय और बीमार महिला को हिरासत में लिए जाने का कारण समझ में नहीं आता।

हैनिक की तरह ही यूक्रेन के अनेक आम लोग रूसी बलों द्वारा पकड़ लिए गए हैं। इनमें से कई लोगों को युद्धबंदी बना दिया गया है, जबकि उनकी युद्ध में कोई भागीदारी नहीं रही। अनके लोग ऐसे भी हैं जिनकी कानूनी स्थिति अधर में है क्योंकि इन्हें न तो युद्धबंदी बनाया गया है, और न ही इन पर कोई अन्य आरोप लगाया गया है।

रूसी बलों ने जब हैनिक को वोलोदिमिरिवका गांव से पकड़ा तो उस समय वह केवल स्वेटसूट और चप्पल पहने हुए थी। यह गांव अब भी रूसी बलों के कब्जे में है।

कपत्स्याना ने कहा कि उसके परिवार ने शुरू में सोचा था कि वह जल्द ही घर आ जाएंगी। क्योंकि रूसी सेना लोगों को दो या तीन दिन हिरासत में रखने के बाद रिहा कर देती थी। उसने कहा कि मां की रिहाई की उम्मीद इसलिए भी थी क्योंकि उनका किसी भी तरह का सैन्य जुड़ाव नहीं था।

उसने कहा कि मां जब वापस नहीं आईं तो उनकी खोज शुरू की गई। दोनेत्स्क क्षेत्र में विभिन्न रूसी अधिकारियों और निकायों ने कहा कि उन्होंने उन्हें नहीं पकड़ा।

कपत्स्याना ने कहा कि अंततः कुछ स्पष्टता मिली और दोनेत्स्क क्षेत्र में मॉस्को द्वारा स्थापित किए गए अभियोजक कार्यालय के एक पत्र में बताया गया कि हैनिक रूस नियंत्रित एक अन्य शहर ओलेनिवका में जेल में है।

जेल के कर्मचारियों ने कहा कि हैनिक एक ‘स्नाइपर’ है। उसके परिवार ने इस आरोप को निराधार बताया। एपी द्वारा देखे गए मेडिकल रिकॉर्ड में पुष्टि हुई कि हैनिक दौरे पड़ने की समस्या से पीड़ित है।

अन्ना वोरोशेवा ने भी उसी जेल में 100 दिन बिताए जहां हैनिक बंद है। उसने जेल की अपमानजनक, अमानवीय स्थितियों को याद किया जहां पीने के लिए पानी नहीं मिलता था, जहां कोई सो नहीं पाता था, और हर रोज पिटते नए कैदियों के चीखने-चिल्लाने की आवाज आती थी।

ऐसे अनेक यूक्रेनी लोग हैं जो रूस की जेलों में अकारण बंद कर दिए गए हैं और कोई नहीं जानता कि वे वापस आएंगे भी या नहीं।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Associated Press (AP)

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