रोहिंग्या शरणार्थियों ने शिक्षा के अवसर से इनकार पर अपनी बात रखी : संरा दूत

संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस द्वारा म्यांमा के लिए नियुक्त विशेष दूत नोलेन हेजर ने सोमवार को कहा कि उन्होंने बांग्लादेश, मलेशिया और भारत में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों से बात की और उन्होंने बताया कि कैसे मेजबान देश उन्हें शिक्षा के अवसर से वंचित रख रहे हैं और उन्हें अपनी पूरी पीढ़ी के अंधकार में जाने का डर सता रहा है।

हेजर ने बांग्लादेश सहित अन्य देशों का रोहिंग्या शरणार्थियों के प्रति उदारता दिखाने के लिए आभार जताया। रोहिंग्या मुसलमानों को करीब पांच साल पहले म्यांमा से जबरन बाहर निकलने पर मजबूर होना पड़ा था।

हेजर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की अनौपचारिक बैठक के दौरान कहा, ‘‘मैंने हाल-फिलहाल में बांग्लादेश, मलेशिया और भारत में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों से बातचीत की है। रोहिंग्या युवाओं ने मुझे बताया कि कैसे उन्हें मेजबान देशों में शिक्षा के अवसरों से वंचित रखा जा रहा है और उन्हें डर है कि इससे पूरी पीढ़ी अंधकार में चली जाएगी।’’

हेजर ने कहा, ‘‘हालांकि, वे (रोहिंग्या) उन्हें मिल रही सहायता के लिए आभारी हैं। वे महसूस करते हैं कि उन्हें जीवनयापन के लिए भी दानकर्ताओं के दान पर निर्भर होना पड़ रहा है। उनका मानना है कि बिना शिक्षा के वे कभी अपने सपनों को साकार नहीं कर सकेंगे या कभी आत्मनिर्भर नहीं बन सकेंगे।’’

हेजर के मुताबिक, 1.44 करोड़ यानी म्यांमा की एक-चौथाई आबादी को तत्काल मानवीय सहायता की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘‘ मध्य बामर क्षेत्र में सात लाख में से आधी से अधिक आबादी संकट शुरू होने के बाद से आतंरिक तौर पर विस्थापित हो चुकी है। 26 मई तक म्यांमा में करीब दस लाख लोग आंतरिक तौर पर विस्थापित थे।’’

इस महीने की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने मीडिया को बताया था कि म्यांमा से विस्थापित करीब 40 हजार लोग पड़ोसी भारत और थाईलैंड में रह रहे हैं।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Associated Press (AP)

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