लौह अयस्क निर्यात: केंद्र ने न्यायालय से कहा, जिंस पर निर्यात शुल्क लगाना नीतिगत फैसला

नयी दिल्ली, केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से एक जनहित याचिका खारिज करने की मांग करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि किसी भी तरह के जिंस पर निर्यात शुल्क लगाना या हटाना सरकार का एक नीतिगत फैसला है।

इस जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि वर्ष 2015 से चीन को पेलेट लौह अयस्क का निर्यात करने वाली कई निजी फर्में शुल्क की चोरी में संलिप्त रही हैं।

मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना तथा न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ इस मुद्दे पर वकील एम एल शर्मा और एनजीओ ‘कॉमन कॉज’ की तरफ से दायर दो जनहित याचिकाओं पर बृहस्पतिवार को सुनवाई करने वाली थी। लेकिन इसके पहले ही केंद्र ने हलफनामा दायर कर याचिकाओं को निरस्त करने की मांग कर दी।

अब इस मामले की सुनवाई 26 नवंबर को की जाएगी।

हालांकि पीठ ने मामले की सुनवाई से पहले रात में केंद्र सरकार की तरफ से हलफनामा दाखिल करने पर नाखुशी जाहिर की। पीठ ने मौखिक रूप से कहा, ‘‘इसे रात में क्यों दायर किया गया… ऐसा लगता है कि आप नहीं चाहते कि हम फाइल पढ़ें।’’

इस पर केंद्र के वकील ने कहा कि हलफनामा दाखिल करने में देर हो गई।

पीठ ने याचिकाकर्ता एम एल शर्मा और प्रशांत भूषण (कॉमन कॉज) को जवाबी हलफनामे की एक प्रति देने का निर्देश दिया।

शर्मा ने अपनी जनहित याचिका में सीबीआई को एक प्राथमिकी दर्ज करने और 2015 से चीन को लौह अयस्क निर्यात करने में निजी फर्मों द्वारा कथित शुल्क चोरी की जांच करने का निर्देश देने की मांग की है।

एनजीओ कॉमन कॉज ने एक अलग जनहित याचिका में कुछ फर्मों द्वारा शुल्क से बचने के लिए पेलेट के रूप में लौह अयस्क के निर्यात का आरोप लगाया है।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Getty Images

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