विझिंजम बंदरगाह के खिलाफ प्रदर्शन में ‘बाहरी ताकतों’ का हाथ होने का संदेह : विजयन

तिरुवनंतपुरम, केरल विधानसभा में मंगलवार को निर्माणाधीन विझिंजम बंदरगाह के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शन के मुद्दे पर गर्मा-गरम बहस हुई। इस दौरान मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने आशंका जताई कि इस प्रदर्शन को ‘बाहरी शक्तियां’ नियंत्रित कर रही हैं।

विजयन ने विस्तृत भाषण में कहा कि सरकार मुद्दे का कानून के तहत सौहार्द्रपूर्ण समाधान चाहती है। उन्होंने सभी से 140 दिनों से जारी प्रदर्शन को खत्म कराने में सहयोग करने को कहा।

हालांकि, उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि बुनियादी ढांचे से जुड़ी इस विशाल परियोजना को बंद नहीं किया जाएगा क्योंकि केरल के विकास के लिए यह जरूरी है।

विजयन ने कहा, ‘‘किसी भी परिस्थिति में विझिंजम बंदरगाह का निर्माण कार्य रोकने की अतार्किक मांग को स्वीकार करना संभव नहीं है, बुनियादी ढांचे की यह परियोजना राज्य के विकास के लिए अनिवार्य है… 80 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।’’

इससे पहले जब कांग्रेस नीत विपक्षी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव पेश किया तो मुख्यमंत्री ने सदन में चर्चा पर सहमति जताई। विजयन ने विपक्ष के उस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया कि सरकार ने प्रदर्शन कर रहे स्थानीय मछुआरों से बातचीत के लिए कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि मंत्रियों की उपसमिति के तहत अधिकारियों ने कई दौर की बातचीत की और पिछले दरवाजे से भी कई दौर की अनौपचारिक वार्ता की गई।

विजयन ने कहा कि उन्होंने स्वयं प्रदर्शन समिति के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत की थी ताकि प्रदर्शनों को यथाशीघ्र समाप्त कराया जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमने उनकी सिर्फ एक मांग के अलावा सभी मांगें स्वीकार कर ली हैं। वे चाहते हैं कि बंदरगाह का निर्माण रूक जाए और हमने स्पष्ट कर दिया है कि यह किसी भी परिस्थिति में संभव नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि मतभेद का दूसरा बिन्दू हैं बंदरगाह के निर्माण के कारण हो रहा कथित तटवर्ती भू-क्षरण (कटाव) और सरकार ने उनकी चिंताएं दूर करने के लिए अध्ययन करने के लिहाज से विशेषज्ञों की एक समिति गठित की है।

मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि प्रत्येक दौर की वार्ता का अंत सकारात्मक रूप से हुआ लेकिन ऐसा लगता है कि अगले ही दिन उन्होंने अपना विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया।

संभवत: प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे लैटिन चर्च का संदर्भ देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह आशंका स्वभाविक है कि बाहरी शक्तियां बाहर बैठकर इस प्रदर्शन को नियंत्रित कर रही हैं।’’

इस बीच, चर्चा में हिस्सा लेने वाले विपक्षी सदस्यों ने वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार द्वारा मामले से निपटने की आलोचना की। साथ ही कहा कि वे परियोजना को रोकने के पक्ष में नहीं है।

नेता प्रतिपक्ष वी.डी.सतीशन ने कहा कि मछुआरा समुदाय तटीय कटाव की वजह से घरों एवं जीविकोपार्जन के खत्म होने एवं केरोसिन व डीजल आदि की कीमतें बढ़ने से मुश्किलों का सामना कर रहा है।

उन्होंने आशंका जताई कि क्या सरकार और अडाणी समूह के बीच गुप्त समझौता हुआ है और हालिया हिंसा उच्च न्यायालय से इस संबंध में अनुकूल फैसला हासिल करने के लिए किया गया है।

सतीशन की तरह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्नीथाला ने भी मुख्यमंत्री की इस मुद्दे पर कथित चुप्पी के लिए आलोचना की। उन्होंने कहा कि शर्मनाक है कि प्रशासन प्रदर्शन कर रहे मछुआरों से बात नहीं कर रहा है।

विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव पेश करने वाले कांग्रेस विधायक एम विंसेट ने कहा कि सरकार ने मछुआरों के प्रति ‘शत्रुतापूर्ण रवैया’ अपना लिया है। उन्होंने बंदरगाह के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की न्यायिक जांच कराने की मांग की।

विंसेट ने कहा, ‘‘26 और 27 नवंबर को प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की खबर की सच्चाई सामने लाने के लिए न्यायिक जांच का आदेश दिया जाना चाहिए। लेकिन जांच सच्चाई सामने लाने के लिए होनी चाहिए न कि तथ्यों को छिपाने के लिए।’’

सदन में करीब दो घंटे तक चली चर्चा में साजी चेरियन, पी के कुन्हालकुट्टी, अनूप जैकब, मोंस जोसफ, वी जॉय और अन्य ने हिस्सा लिया।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

%d bloggers like this: