वित्तीय समर्थन आतंकवाद के ‘जीवन आधार’ जैसा, इसे रोकने के लिए और अधिक प्राथमिकता देनी होगी: डोभाल

नयी दिल्ली, भारत और मध्य एशियाई देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) ने आतंकवाद के वित्तपोषण, चरमपंथ तथा सीमापार से होने वाले आतंकवाद में छद्म आतंकियों के इस्तेमाल जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए मंगलवार को सामूहिक कार्रवाई की अपील की।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान को आतंकवादी गतिविधियों के लिए पनाहगाह नहीं बनने देना चाहिए।

बैठक के बाद एक संयुक्त बयान में कहा गया कि विभिन्न देशों को सड़क मार्ग से जोड़ने की पहल पारदर्शिता एवं सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए। इसे चीन की बेल्ट एंड रोड इनीशियेटिव (बीआरआई) पर भारत के रुख की मौन स्वीकृति के रूप में देखा जा रहा है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने बैठक में अपने संबोधन में कहा कि भारत क्षेत्र में सहयोग, निवेश करने और सड़क संपर्क के लिए तैयार है।

आतंकवादी समूहों से खतरे पर उन्होंने कहा कि वित्तीय समर्थन आतंकवाद का ‘जीवन आधार’ है और देश में आतंकवाद के वित्तपोषण को (रोकने को) अधिक प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

मध्य एशिया को भारत का ‘विस्तारित पड़ोस’ बताते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि नयी दिल्ली इस क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और अफगानिस्तान हम सभी के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा है।

डोभाल की मेजबानी में हुई बैठक में अफगानिस्तान की संप्रभुता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की जरूरत पर जोर दिया गया तथा उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने का आग्रह किया गया

बैठक में कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के एनएसए ने भाग लिया, वहीं तुर्कमेनिस्तान का प्रतिनिधित्व भारत में उसके राजदूत ने किया।

एक संयुक्त बयान में कहा गया कि अधिकारी इस बात के लिए तैयार हो गये कि क्षेत्र के लिए आतंकवादियों के दुष्प्रचार, भर्ती और धन उगाही की कोशिशों के विस्तार के गंभीर सुरक्षा प्रभाव हो सकते हैं और इसलिए सामूहिक तथा समन्वित कार्रवाई आवश्यक है।

इसमें कहा गया, ‘‘नई और उभरती प्रौद्योगिकियों का दुरुपयोग, हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी, सीमा पार से आतंकवाद के लिए छद्म आतंकियों का इस्तेमाल, दुष्प्रचार फैलाने के लिए साइबर जगत का दुरुपयोग तथा मानव रहित हवाई प्रणालियां आतंकवाद रोधी प्रयासों में नई चुनौतियां पेश करती हैं और सामूहिक कार्रवाई की जरूरत को रेखांकित करती हैं।’’

बयान में सीमापार से आतंकवाद के उल्लेख को भारत पर निशाना साधने वाले विभिन्न आतंकी समूहों को पाकिस्तान के समर्थन के संदर्भ में देखा जा रहा है।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि एनएसए ने अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति और क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता पर इसके प्रभाव पर चर्चा की, “शांतिपूर्ण, स्थिर और सुरक्षित” अफगानिस्तान के लिए मजबूत समर्थन दोहराया। सुरक्षा अधिकारियों ने इस बात पर भी जोर दिया कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का उपयोग “आश्रय, प्रशिक्षण, योजना या किसी भी आतंकवादी कृत्य के वित्तपोषण के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्ताव 2593 (2021) के महत्व को भी दोहराया कि यूएनएससी के प्रस्ताव 1267 द्वारा प्रतिबंधित संगठन समेत किसी भी आतंकवादी संगठन को पनाह नहीं मिलनी चाहिए या अफगानिस्तान की सरजमीं का उपयोग करने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए।

एनएसए ने अफगानिस्तान में वर्तमान में बिगड़ती मानवीय स्थिति और वहां के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए संयुक्त रूप से कार्य करने की आवश्यकता पर गौर किया।

इसमें कहा गया कि बैठक में सभी तरह के आतंकवाद की कड़े शब्दों में निंदा की गयी और इस बुराई से लड़ने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत रेखांकित की गयी।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र के व्यापक समझौते को जल्दी अपनाने की भी मजबूत वकालत की।

इसमें इस बात को भी दोहराया गया कि अच्छा संपर्क व्यापार तथा वाणिज्य को बढ़ाने में कारगर हो सकता है तथा भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच करीबी संवाद सुनिश्चित करने में भी सहायक हो सकता है।

चीन की बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के परोक्ष संदर्भ में बयान में कहा गया, ‘‘वे इस बात पर सहमत हुए कि संपर्क की पहल पारदर्शिता, व्यापक सहभागिता, स्थानीय प्राथमिकताओं, सभी देशों के लिए वित्तीय मजबूती तथा संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए।’’

डोभाल ने अफगानिस्तान समेत क्षेत्र में आतंकवाद की चुनौतियों से निपटने के लिए एक साझा रूपरेखा तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करने के विचार के साथ बैठक की मेजबानी की। इसमें जनवरी में हुई पहली भारत-मध्य एशिया शिखर वार्ता में लिये गये फैसले के अनुरूप व्यापक सुरक्षा को मजबूत करने के तरीकों पर भी ध्यान दिया गया।

अपने संक्षिप्त संबोधन में डोभाल ने अधिकतर समय आतंकवाद की चुनौती, अफगानिस्तान की स्थिति और क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाओं के महत्व पर बात की।

जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों और अन्य की आतंकवादी गतिविधियों के लिए अफगानिस्तान की धरती के इस्तेमाल पर भारत की बढ़ती चिंता के बीच उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद का वित्तपोषण उसके लिए जीवन आधार की तरह है और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकना हम सभी की समान प्राथमिकता होनी चाहिए।’’

डोभाल ने कहा, ‘‘ हमें संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से आतंकवादी कृत्यों में शामिल संस्थाओं या लोगों को किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान करने से बचने और आतंकवाद-रोधी समझौतों व ‘प्रोटोकॉल’ में निहित दायित्वों को पूरा करने का आह्वान भी करना चाहिए।’’

डोभाल ने यह भी कहा कि संपर्क की पहल परामर्शी, पारदर्शी और सहभागिता वाली होनी चाहिए।

डोभाल ने कहा, ‘‘ संपर्क परियोजनाओं का विस्तार करते समय, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि सभी देशों की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता के मद्देनजर संपर्क कायम करने के कदम पारदर्शी हों व परामर्श तथा भागीदारी से उठाए जाएं।’’

इस बयान को चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरए) परियोजना के परोक्ष संदर्भ में ही देखा जा रहा है।

डोभाल ने जनवरी में हुए पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन का भी उल्लेख किया जिसकी मेजबानी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी। यह सम्मेलन ऑनलाइन आयोजित किया गया था।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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