नयी दिल्ली, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने वडोदरा में ‘विश्वामित्री नदी कार्ययोजना’ को तीन महीने के भीतर लागू करने का अधिकारियों को निर्देश दिया है जिसमें अनधिकृत ढांचों को हटाना तथा डूब क्षेत्र में आने वाले मैदानी इलाकों को चिह्नित करने और उनका संरक्षण करने का कार्य भी शामिल है।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस पर गौर किया कि विश्वामित्री नदी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा चिह्नित की गई 351 प्रदूषित नदियों में से एक है।
पीठ ने कहा, ‘‘नदी के डूब क्षेत्र में आने वाले पूरे मैदानी इलाके की पहचान करनी होगी। इसके बाद पौधारोपण तथा नदी की समग्रता को बरकरार रखने के लिए कदम उठाने की जरूरत है।’’
उसने कहा, ‘‘आवेदकों द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर विचार करने का निर्देश देते हुए हम दोहराते हैं कि अनधिकृत ढांचों को हटाने, डूब क्षेत्र में आने वाले मैदानी इलाकों की पहचान एवं संरक्षण के लिए ‘विश्वामित्री नदी कार्ययोजनाद्ध को लागू किया जाए।’’
पीठ ने कहा कि संबंधित अधिकारी इस कार्रवाई को तीन महीने के भीतर पूरा करें।
अधिकरण गुजरात के वडोदरा में विश्वामित्री रिवरफ्रंट विकास परियोजना (वीआरडीपी) के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
याचिका में कहा गया है कि यह परियोजना पर्यावरण संबंधी नियमों का उल्लंघन करती है।
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