श्रीलंका में पूर्वी प्रांत के लिये गठित विरासत संबंधी कार्यबल में तमिल और मुस्लिम को शामिल किया गया

कोलंबो, श्रीलंका सरकार ने देश के पूर्वी प्रांत के लिए पुरातत्व विरासत प्रबंधन से संबंधित कार्यबल में एक तमिल और एक मुस्लिम को शामिल किया है। पहले इस कार्यबल में देश के अल्पसंख्यक समुदायों का एक भी सदस्य नहीं था।

सोमवार को जारी एक राजपत्रित आदेश में, श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने दो नए सदस्यों को कार्यबल में शामिल किया, जिससे सदस्यों की संख्या बढ़कर 18 हो गई।

मूल कार्यबल की घोषणा जून 2020 में की गई थी, जिसमें किसी भी अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य को शामिल नहीं किया गया था। पूर्वी प्रांत की बहु-जातीय जनसांख्यिकीय संरचना में 70 प्रतिशत तमिल और मुसलमान हैं।

कार्यबल का आधिकारिक कामकाज ‘पुरातात्विक स्थलों के लिए आवंटित भूमि की सीमा की पहचान करना, उन्हें उचित और कानूनी रूप से आवंटित करने के लिए आवश्यक उपाय करना, पुरातात्विक महत्व के स्थलों के सांस्कृतिक मूल्य को संरक्षित करना, स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर श्रीलंका की विशिष्टता को बढ़ावा देना, और ऐसी विरासत को बढ़ावा देने के लिए सिफारिशें करना’ है।

अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को शामिल किया जाना इसलिये महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिकारियों ने दोनों समुदायों पर ‘विरासत संरक्षण’ की आड़ में भूमि हथियाने का आरोप लगाया है।

लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) ने द्वीप के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में एक अलग तमिल मातृभूमि स्थापित करने के लिए श्रीलंकाई सरकार के खिलाफ एक सशस्त्र विद्रोह का नेतृत्व किया था। श्रीलंकाई सेना ने मई 2009 में इसे हराया दिया था।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Getty Images

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