श्रीलंका: संविधान में संशोधन के लिए प्रधानमंत्री राजपक्षे द्वारा एक प्रस्ताव पेश करने की संभावना

कोलंबो, श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के सकारात्मक पहलुओं को शामिल करके लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संविधान में संशोधन का एक प्रस्ताव पेश कर सकते हैं।

यह प्रस्ताव ऐसे समय में पेश किया जा रहा है, जब श्रीलंका अप्रत्याशित आर्थिक संकट से जूझ रहा है और लोग लगातार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से सोमवार को जारी एक बयान के अनुसार, महिंदा राजपक्षे लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संविधान में संशोधन से जुड़ा एक प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष पेश कर सकते हैं।

सरकारी समाचार पत्र ‘डेली न्यूज’ में मंगलवार को प्रकाशित खबर के अनुसार, ‘‘ प्रधानमंत्री के कैबिनेट को एक संवैधानिक संशोधन प्रस्ताव देने की उम्मीद है, जिसमें कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका शामिल होंगे।’’

‘कोलंबो पेज’ की खबर के अनुसार, राजपक्षे ने कहा कि वह लोगों के प्रति जवाबदेह सरकार बनाने के लिए विभिन्न हलकों के अनुरोधों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं।

खबर के अनुसार, उन अनुरोधों के आधार पर, वह कैबिनेट में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के सकारात्मक पहलुओं को शामिल करते हुए एक संवैधानिक संशोधन के लिए एक नया प्रस्ताव पेश कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने एक बयान में कहा, ‘‘ मुझे उम्मीद है कि संशोधित संविधान लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में सक्षम होगा।’’

श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजाद होने के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। देश में विदेशी मुद्रा की भारी कमी हो गई है, जिससे वह खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है।

इस बीच, श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने 2020 में रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध लगाने, आईएमएफ से देरी से सम्पर्क करने जैसी अपनी गलतियों को सोमवार को स्वीकार किया, जिस कारण देश सबसे खराब आर्थिक संकट से घिर गया।

राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि उनकी सरकार को राहत के लिए बहुत पहले ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) जाना चाहिए था और आईएमएफ नहीं जाना गलती थी।

राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने सोमवार को 17 मंत्रियों की नयी कैबिनेट का गठन किया, जिसमें उनके भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, उनके परिवार की ओर से एकमात्र सदस्य हैं।

उन्होंने अपने नवनियुक्त कैबिनेट मंत्रियों से बातचीत करते हुए कहा कि खेती में रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध लगाने का उनका फैसला “एक गलती” थी और अब सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं।

राजपक्षे ने 2020 के मध्य में जैविक उर्वरक के साथ हरित कृषि नीति लागू करने के लिए उर्वरकों के आयात एवं उनके उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। किसानों ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा था कि इससे फसलों को नुकसान होगा और उत्पादन में कमी आएगी। इसके बावजूद, सरकार ने इस फैसले को आगे बढ़ाया और मुख्य खाद्य पदार्थों की जमाखोरी की खबरों के बाद दुकानदारों और व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई की।

राजपक्षे ने देश में हो रहे विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा, “मैं लोगों की नाराजगी को समझ सकता हूं… उन्हें आवश्यक वस्तुएं खरीदने के लिए कतारों में खड़ा होना पड़ रहा है।’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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