सम्मानजनक पदों पर आसीन व्यक्तियों को गैर जिम्मेदाराना बयान देने से बचना चाहिए: अदालत

मुम्बई, बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि सम्मानजनक पदों पर आसीन व्यक्तियों को अन्य गणमान्य लोगों के बारे में गैर जिम्मेदाराना बयान देने से बचना चाहिए एवं नयी पीढ़ी के लिए एक नजीर कायम करना चाहिए।

न्यायमूर्ति पी बी वराले की अगुवाई वाली पीठ केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता नारायण राणे की याचिका पर सुनवाई कर रही है। राणे ने पिछले साल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के विरूद्ध अपने बयान को लेकर धुले जिले में दर्ज की गयी प्राथमिकी खारिज करने की मांग की है।

अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से भी जानना चाहा कि क्या पुलिस यह बयान देने की इच्छुक है कि वह राणे के विरूद्ध दंडात्मक कार्रवाई से परहेज करेगी।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘ सम्मानजनक पदों पर आसीन व्यक्तियों को अन्य गणमान्य लोगों के बारे में गैर जिम्मेदाराना बयान देने से बचना चाहिए…क्यों याचिकाकर्ता (राणे) अदालत में आकर यह नहीं कहते हैं कि जो हो गया , वह हो गया? हम सभी के प्रति सम्मानजनक होने का फैसला करें। हम दूसरे को गलत संकेत न दें।’’

अदालत ने कहा, ‘‘ नयी पीढ़ी के लिए एक नजीर कायम करना चाहिए। आखिरकार महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जिसकी समृद्ध धरोहर है।’’

उच्च न्यायालय ने कहा कि अतीत में एक वरिष्ठतम विपक्षी नेता मोर्चा लेकर मंत्रालय पहुंच गये थे , जिसके बाद मुख्यमंत्री अपने कक्ष से बाहर आये। ‘‘ वह उन्हें अपने साथ अंदर ले गये एवं उनकी बात सुनी, ऐसी थी हमारी धरोहर।’’

पिछले साल अगस्त में राणे ने भारत की आजादी के बारे में उद्धव ठाकरे की अनभिज्ञता का दावा करते हुए उन्हें थप्पड़ मारने की बात कही थी जिसपर विवाद उत्पन्न हो गया था। राणे को गिरफ्तार किया गया था और बाद में जमानत पर छोड़ दिया गया था।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikipedia Commons

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