सरदार सरोवर बांध परियोजना की ‘‘विसंगतियों’’ के खिलाफ विस्थापितों ने खुले आकाश तले डाला डेरा

सरदार सरोवर बांध परियोजना के तहत पुनर्वास और मुआवजे में विसंगतियों का आरोप लगाते हुए मध्यप्रदेश के करीब 500 विस्थापितों ने बृहस्पतिवार को यहां शिकायत निवारण प्राधिकरण (जीआरए) के दफ्तर के सामने डेरा डाल दिया। सरदार सरोवर बांध गुजरात में नर्मदा नदी पर बना है। इसके बैकवॉटर (बांध की बाहरी दीवार से टकराकर लौटने वाला पानी) के कारण मध्यप्रदेश के बड़वानी, धार, खरगोन और अलीराजपुर जिलों में नर्मदा किनारे बसे कई इलाके काफी पहले ही जलमग्न हो चुके हैं।

चश्मदीदों ने बताया कि इन जिलों के बांध विस्थापित इंदौर के विजय नगर क्षेत्र स्थित जीआरए दफ्तर के सामने बृहस्पतिवार दोपहर जुटे और उन्होंने नारेबाजी करते हुए वहीं डेरा डाल दिया। वे नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर की अगुवाई में पहुंचे थे।

चश्मदीदों के मुताबिक पुनर्वास और मुआवजे में कथित विसंगतियां दूर करने की मांग को लेकर विस्थापितों का पड़ाव रात में भी जारी है। उन्हें ठंड के मौसम में रात के वक्त खुले आकाश तले भोजन और विश्राम करते भी देखा गया। विस्थापितों के पड़ाव के दौरान जीआरए दफ्तर के आस-पास पुलिस बल की तैनाती की गई थी।

इस बीच, प्रदर्शनकारियों की अगुवा मेधा पाटकर ने संवाददाताओं से कहा कि गुजरात में सरदार सरोवर बांध को बने कई साल बीत चुके हैं, लेकिन इस परियोजना से मध्यप्रदेश में विस्थापित हुए कई लोगों का अब तक न तो उचित पुनर्वास हो सका है, न ही उन्हें सही मुआवजा दिया गया है।

पाटकर ने दावा किया कि उचित पुनर्वास के अभाव में करीब 1,000 बांध विस्थापित प्रदेश सरकार के बनाए टिन शेडों में रहने को अब भी मजबूर हैं, जबकि उनके घर और खेत-खलिहान बैकवॉटर में काफी पहले ही डूब चुके हैं।

उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की कि वे बांध विस्थापितों की सुध लेते हुए उन्हें उचित पुनर्वास और सही मुआवजा दिलवाने के लिए तुरंत जरूरी कदम उठाएं।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

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