सूरत की अदालत ने ग्रीष्मा वेकारिया के हत्यारों को मौत की सजा सुनाई

सूरत (गुजरात), सूरत की एक अदालत ने इस साल फरवरी को 21 वर्षीय कॉलेज छात्रा ग्रीष्मा वेकारिया की उसके घर के बाहर हत्या के मामले में बृहस्पतिवार को फेनिल गोयानी को मौत की सजा सुनाई।

ग्रीष्मा ने फेनिल का प्रेम प्रस्ताव ठुकरा दिया था जिससे नाराज होकर उसने यह कदम उठाया था।

दिल्ली के निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले और मनुस्मृति के एक श्लोक का हवाला देते हुए न्यायाधीश ने क्रूरता व किसी तरह का पछतावा न होने को लेकर आरोपी की तुलना पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब से की।

सूरत के प्रधान सत्र एवं जिला न्यायाधीश वी के व्यास ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ इस तरह के अपराधों में शामिल होने से लोगों को रोकने के लिए सख्त सजा दिये जाने की जरूरत है।

वेकारिया के माता-पिता के साथ ही गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने फैसला का स्वागत किया है।

पुलिस ने घटना के एक सप्ताह के भीतर 2,500 पृष्ठ का आरोप पत्र दायर किया था और फिर 120 दस्तावेजी साक्ष्य भी जमा किए थे।

कई प्रत्यक्षदर्शियों ने इस पूरी घटना को अपने स्मार्टफोन में कैद कर लिया था। 25 लोगों के वीडियो क्लिप और चश्मदीद गवाह अभियोजन पक्ष के लिए महत्वपूर्ण साबित हुए।

इस मामले में 25 फरवरी को आरोप निर्धारित किए गए थे और 28 फरवरी को सुनवाई शुरू हुई थी। इस दौरान 105 गवाहों को पेश किया गया।

गोयानी ने 12 फरवरी को गुजरात के सूरत शहर के कामरेज की रहने वाली वेकारिया की उसके परिवार के सदस्यों के सामने गला रेत कर हत्या कर दी थी।

वेकारिया ने गोयानी साथ रिश्ता रखने से इनकार दिया था, जिसके बाद से वह आवेश में था। वेकारिया और गोयानी एक ही स्कूल में पढ़ते थे।

गोयानी ने वेकारिया को बचाने की कोशिश करते उसके भाई और चाचा को भी चाकू मार दिया था। इसके बाद उसने खुद को भी चाकू मारकर घायल कर लिया था। पुलिस पहले गोयानी को कामरेज में एक अस्पताल ले गई थी और 16 फरवरी को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया था।

ग्रीष्मा के लिये न्याय की मांग करते हुए उसकी शवयात्रा में करीब एक हजार लोग शामिल हुए थे।

न्यायाधीश व्यास ने बृहस्पतिवार को मामले को ‘दुर्लभ से भी दुर्लभ’ करार दिया और अभियोजन पक्ष की अपील के अनुसार गोयानी को मौत की सजा सुनाई।

अदालत ने पिछले महीने गोयानी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 307 (हत्या का प्रयास) के तहत दोषी करार दिया था।

बृहस्पतिवार को सजा सुनाते हुए न्यायाधीश ने कहा कि नवंबर 2008 में मुंबई पर हमला करने वाले आतंकवादियों में से एक अजमल कसाब की तरह, गोयानी ने क्रूरता का प्रदर्शन किया और मुकदमे के दौरान कोई पछतावा नहीं दिखाया।

अपने 28 साल के करियर के दौरान कभी ऐसा कोई मामला नहीं देखने का जिक्र करते हुए न्यायाधीश व्यास ने कहा कि ग्रीष्मा की किस्मत 2012 के दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म मामले की पीड़िता ‘निर्भया’ की तरह थी।

उन्होंने कानून और धर्म पर प्राचीन हिंदू ग्रंथ ‘मनुस्मृति’ के एक श्लोक का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि सजा अपराध की गंभीरता के अनुरूप होनी चाहिए।

न्यायाधीश ने कहा कि बड़े चाकू से वेकारिया का गला काटते समय आरोपी ने कोई दया नहीं दिखाई।

ग्रीष्मा के पिता नंदलाल वेकारिया ने दोषी को मौत की सजा सुनाने के निचली अदालत के फैसले का स्वागत किया और कहा कि उनकी बेटी के हत्यारे को जल्द से जल्द फांसी दी जाए।

उन्होंने कामरेज पुलिस, मंत्री सांघवी, पूर्व विधायक प्रफुल्ल पानसुरिया को परिवार की मदद के लिये धन्यवाद देते हुए कहा, “समाज में कड़ा संदेश देने के लिये दोषी को बख्शा नहीं जाना चाहिए।”

गोयानी ने 12 फरवरी को ग्रीष्मा के घर पहुंचकर पहले उसके चाचा पर चाकू से हमला किया और फिर उसके छोटे भाई को भी हमला कर घायल कर दिया। जब ग्रीष्मा बाहर आई तो गोयानी ने चाकू उसके गले पर रख दिया। ध्रुव व परिवार के अन्य सदस्यों तथा पड़ोसियों ने गोयानी से ग्रीष्मा को छोड़ने का अनुरोध किया लेकिन अचानक उसने ग्रीष्मा का गला काट दिया।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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