हमने जैसे लिट्टे का खात्मा किया वैसे ही आर्थिक संकट खत्म करेंगे : राजपक्षे

कोलंबो, श्रीलंका के संकटग्रस्त प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार अभूतपूर्व आर्थिक संकट से उबरने के लिए उसी तरह आश्वस्त है जिस तरह उसने एक दशक पहले लिट्टे को कुचल दिया था।

द्वीपीय राष्ट्र के सामने सबसे खराब आर्थिक संकट के कारण पद छोड़ने के लिए दबाव का सामना कर रहे महिंदा राजपक्षे ने टेलीविजन पर राष्ट्र के नाम एक संबोधन में कहा कि वह लोगों की पीड़ा को समझते हैं।

प्रधानमंत्री ने 2009 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) पर अपनी सैन्य जीत का जिक्र करते हुए कहा, “हमें अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। हम आर्थिक मुद्दे को सुलझाने की जिम्मेदारी उसी तरह लेंगे जैसे हमने 30 साल के युद्ध को समाप्त किया था।”

एक अलग तमिल मातृभूमि के लिए अलगाववादी युद्ध का नेतृत्व करने वाले लिट्टे को 2009 में श्रीलंकाई सेना ने कुचल दिया था और इसके नेता वेलुपिल्लई प्रभाकरन की मौत हो गई थी।

राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के बड़े भाई महिंदा ने कहा कि सरकार आर्थिक संकट से उबरने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रही है।

अपने छोटे भाई राष्ट्रपति गोटाबाया और पूरे राजपक्षे परिवार के इस्तीफे की मांग को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से अपनी पहली सार्वजनिक उपस्थिति में उन्होंने प्रदर्शनकारियों से सरकार विरोधी आंदोलन को समाप्त करने की अपील की और कहा कि सड़कों पर बिताया गया हर मिनट देश को डॉलर के प्रवाह से वंचित करता है।

महिंदा ने कहा, “सरकार इस समस्या को हल करने के लिए दिन का हर सेकेंकड खर्च कर रही है। मेरे परिवार की बदनामी हो रही है, हम इसे बर्दाश्त कर सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी पूरे 225 सांसदों को घर भेजने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “संसद को खारिज करना खतरनाक होगा।”

विरोध के लिए विपक्षी जनता विक्मुथी पेरामुना (जेवीपी) पार्टी को दोषी ठहराने के लिए, महिंदा ने 70 और 80 के दशक में जेवीपी विद्रोह को याद किया।

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने सड़कों, बंदरगाहों और बुनियादी ढांचे का निर्माण लोगों को सड़कों पर रखने के लिए नहीं किया था।

उनका भाषण आर्थिक संकट और राजनीतिक गतिरोध को समाप्त करने के लिए राजनीतिक गतिविधियों की झड़ी के रूप में आया। हालांकि कैबिनेट की नियुक्ति आज भी नहीं हो सकी और सरकार के खिलाफ प्रस्तावित अविश्वास प्रस्ताव पर राजनीतिक समूहों के बीच मतभेद भी सामने आए।

सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) गठबंधन से स्वतंत्रता की घोषणा करने वाले समूह ने कहा है कि वे अविश्वास प्रस्ताव (एनसीएम) का समर्थन नहीं करेंगे।

वरिष्ठ सांसद वासुदेव नानायकारा ने कहा, “हमें नजर नहीं आ रहा कि एनसीएम के पारित होने से कैसे मदद मिलेगी। यहां तक कि अगर इसे जीतना भी है, तो सरकार कैसे बन सकती है।”

मुख्य विपक्षी दल समागी जन बालवेगया (एसजेबी) ने कहा कि उन्होंने सरकार के खिलाफ अर्थव्यवस्था के गलत संचालन पर अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

प्रधानमंत्री का संबोधन विपक्ष के नेता सजित प्रेमदासा द्वारा यह आरोप लगाने के कुछ घंटों बाद आया है कि सरकार की खराब आर्थिक नीतियों ने देश की आर्थिक मंदी में योगदान दिया था।

उन्होंने कहा कि दवा, दूध पाउडर, चावल, चीनी, दाल, गेहूं का आटा और गैस, डीजल, मिट्टी के तेल और पेट्रोल जैसे आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि के कारण देश में हालात बद् से बद्तर होते जा रहे हैं।

विपक्ष के नेता ने कहा कि लोगों ने राष्ट्रपति राजपक्षे को अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय दिया, विशेष रूप से जीवन यापन की बढ़ती लागत को कम करने के लिए, लेकिन न तो राष्ट्रपति और न ही उनके कैबिनेट मंत्री उनकी मांगों को पूरा करने में सक्षम हो सके।

देश में शनिवार से शुरू हुआ सरकार विरोधी प्रदर्शन सोमवार को तीसरे दिन भी जारी रहा।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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