हुआवे को भारत में आने की अनुमति देना क्यों जोखिमभरा है, इसके कई बड़े कारण हैं: पूर्व रॉ प्रमुख

नयी दिल्ली, भारतीय खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ के पूर्व प्रमुख विक्रम सूद ने कहा है कि चीन की सरकार समर्थित दूरसंचार कंपनी हुआवे को भारत में संचालन शुरू करने की अनुमति देना क्यों जोखिम भरा है, इसके कई बड़े सामरिक, प्रौद्योगिकीय, भू-राजनीतिक और कानूनी कारण हैं।

सूद का मूल्यांकन ऐसे समय में आया है जब दूरसंचार ऑपरेटर 5जी का परीक्षण शुरू करने के लिये स्पैक्ट्रम का आवेदन कर रहे हैं, लेकिन अभी सरकार रेडियोवेव के आवंटन पर अंतिम फैसला नहीं ले पाई है।

सूद की हाल ही में आई पुस्तक ‘द अल्टीमेट गोल: अ फॉर्मर रॉ चीफ एंड डिकंस्ट्रक्ट्स हाउ नेशन कंस्ट्रक्ट नेरेटिव्स’ में कहा गया है कि हुआवे स्वतंत्र कंपनी होने का बहाना करती है, लेकिन हर कोई जानता है कि ऐसा नहीं है। चीन की सरकार हुआवे को वित्तीय मदद मुहैया कराती है।’

उन्होंने कहा कि कोविड के बाद यह विमर्श और कमजोर हुआ है कि चीन एक जिम्मेदार देश है और इस विमर्श में आए बदलाव से हुआवे की 5-जी तकनीक बेचने जैसे चीन के कारोबारी हितों को नुकसान होगा।

सूद ने कहा कि जब तक चीन भारत को लेकर अपना विमर्श नहीं बदल लेता और इसके सबूत नहीं दे देता , तब तक देश के लिये हुआवे या इस तरह की चीन की पेशकशों से दूर रहना बेहतर होगा।

इकतीस साल खुफिया अधिकारी रहे सूद मार्च 2003 में सेवानिवृत हो गए थे। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि ‘रहस्य चोरी करना जायज खुफिया गतिविधि का हिस्सा है। यह भारत और इसे शत्रुतापूर्वक भू-राजनीतिक रूप से घेरने को लेकर चीन का रवैया है, जिससे हुआ‍‍वे के भारत में प्रवेश में अड़चने आ रही हैं।’

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

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