‘ह्यूमन फैक्टर्स इंजीनियरिंग इन मिलिट्री प्लेटफॉर्म्स’ पर दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने नई दिल्ली में ‘ह्यूमन फैक्टर्स इंजीनियरिंग इन मिलिट्री प्लेटफॉर्म्स’ पर दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। कार्यशाला का आयोजन डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड एलाइड साइंसेज (डीआईपीएएस), रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की दिल्ली स्थित प्रयोगशाला द्वारा किया गया है।

कार्यशाला का उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में मानव कारक इंजीनियरिंग (एचएफई) के वैज्ञानिक कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक नीतिगत ढांचे और प्रथाओं को विकसित करना है, जिससे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को गति प्रदान की जा सके। एचएफई सुरक्षित और प्रभावी उपयोग के लिए मानव क्षमताओं और सीमाओं को ध्यान में रखते हुए उपकरणों और प्रणालियों के डिजाइन से संबंधित विज्ञान है।

अपने संबोधन में, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने सैनिकों के लिए उपयुक्त स्वदेशी हथियार बनाने के लिए गुणात्मक आवश्यकताओं और डिजाइन के स्तर पर एचएफई अधिकार को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने लंबी खींची गई लड़ाइयों और छोटी अवधि के विशेष अभियानों दोनों को ध्यान में रखते हुए एकीकृत रक्षा कर्मचारियों की भागीदारी के माध्यम से एचएफई के कार्यान्वयन के लिए एक सहक्रियाशील दृष्टिकोण और नीतिगत ढांचा तैयार करने का आह्वान किया।

इस अवसर पर बोलते हुए, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत ने उत्पाद विकास चक्र के अभिन्न अंग के रूप में एचएफई के कार्यान्वयन के लिए डीआरडीओ द्वारा की गई पहल पर प्रकाश डाला ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उत्पाद न केवल भारतीय सैनिकों के लिए विकसित किए गए हैं बल्कि निर्यात के लिए भी उपलब्ध है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रक्षा उपकरणों के लिए सिस्टम स्वायत्तता के युग में, एचएफई समान रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

छवि: https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1907121

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