जोहानिस्बर्ग, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा विदेशी सहायता रोके जाने के फैसले से दक्षिण अफ्रीका में एचआईवी संक्रमितों के इलाज पर संकट पैदा हो गया है। दक्षिण अफ्रीका के क्वाज़ुलु-नटाल प्रांत के
एक ग्रामीण इलाके में रहने वाली नोज़ुको माजोला (19) उन लाखों मरीजों में से एक हैं जिन पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा वैश्विक विदेशी सहायता रोकने का प्रभाव पड़ा है। इससे एचआईवी मरीजों के इलाज में रुकावट संक्रमण दर में वृद्धि और मौतों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
‘ह्यूमन साइंसेज रिसर्च काउंसिल’ ने वर्ष 2024 में बताया था कि दक्षिण अफ्रीका में एचआईवी का दूसरा सबसे अधिक प्रसार मजोला के ही प्रांत में है जहां हर सप्ताह करीब 1 300 युवा इस संक्रमण की चपेट में आते हैं।
क्वाज़ुलु-नटाल में 2022 में लगभग 19.8 लाख लोग एचआईवी से संक्रमित थे। देश में 75 लाख से अधिक लोग एड्स रोग उत्पन्न करने वाले विषाणु से संक्रमित हैं और ये संख्या किसी भी अन्य देश से अधिक है। ट्रंप द्वारा राष्ट्रपति आपात एड्स राहत योजना (पीइपीएफएआर) को निलंबित किए जाने से देश के 55 लाख मरीजों के इलाज पर संकट खड़ा हो गया है।
इस योजना के तहत हर साल दक्षिण अफ्रीका के एचआईवी कार्यक्रमों और अनेक एनजीओ को 40 करोड़ अमेरिकी डॉलर की मदद मिलती थी। संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी के अनुसार 2003 में स्थापना के बाद से पीइपीएफएआर को विश्व स्तर पर कम से कम दो करोड़ 60 लाख लोगों की जान बचाने का श्रेय जाता है।
अमेरिका के एक संघीय न्यायाधीश ने हाल में ट्रंप प्रशासन को सहायता पर रोक को अस्थायी रूप से हटाने का आदेश दिया जबकि अमेरिकी दूतावास ने कहा कि पीइपीएफएआर योजनाएं सीमित छूट के साथ फिर से शुरू होंगी।
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