अकाउंट और ट्वीट पर प्रतिबंध के केंद्र के आदेश को उच्च न्यायालय के समक्ष रखेगा ट्विटर

बेंगलुरु, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को ट्विटर इंक को केंद्र सरकार द्वारा अकाउंट, ट्वीट और यूआरएल पर प्रतिबंध लगाने के संबंध में जारी विभिन्न आदेशों को सीलबंद लिफाफों में उसके समक्ष रखने की अनुमति दी।

मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित ने सोशल मीडिया कंपनी को यह भी निर्देश दिया कि इसे केंद्र सरकार के वकील के साथ साझा किया जाए।

केंद्र के वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि इस मामले की सुनवाई बंद कमरे में की जाए। इसका मतलब मामले से असंबद्ध पक्षों को सुनवाई में शामिल होने की अनुमति न दी जाएगी।

अदालत ने कहा कि अनुरोध पर विचार किया जाएगा। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा रोक के संबंध में जारी किए गए 10 अलग-अलग आदेशों के खिलाफ ट्विटर इंक ने उच्च न्यायालय का रुख किया है।

ये आदेश दो फरवरी 2021 से 28 फरवरी 2022 के बीच के हैं। इनमें अकाउंट, ट्वीट, यूआरएल और हैशटैग को ब्लॉक करने से जुड़े आदेश शामिल हैं।

ट्विटर के वकील मुकुल रोहतगी ने मंगलवार को एकल न्यायाधीश की पीठ को बताया कि केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय अकाउंट को बंद करने का आदेश देने की वजह दर्ज कराने में नाकाम रहा है।

रोहतगी ने कहा कि सूचना-प्रौद्योगिकी (आईटी) नियम 2009 की प्रक्रियाओं और सुरक्षा उपायों के मद्देनजर कारणों को दर्ज करने की जरूरत है और चूंकि ट्विटर अकाउंट धारकों के प्रति जवाबदेह है, ऐसे में ‘‘अगर यह जारी रहा तो पूरा व्यवसाय बंद हो जाएगा।’’

याचिका के संबंध में केंद्र सरकार को नोटिस जारी करने के बाद मामले की सुनवाई 12 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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