अदालत ने दी शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को बड़ी राहत

लखनऊ, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में पात्र शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए बुधवार को कहा कि एक अप्रैल 2005 से पहले नियुक्ति पाने वाले इन कर्मियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाए।

न्यायमूर्ति इरशाद अली की पीठ ने पांच दर्जन से ज्यादा याचिकाओं को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार तथा बेसिक शिक्षा विभाग को निर्देश दिए कि वे एक अप्रैल 2005 की कट ऑफ तिथि से पहले नियुक्ति पाने वाले विभागीय शिक्षण तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का नियमानुसार लाभ दें।

उक्त याचिकाएं यूपी सीनियर बेसिक शिक्षा संघ तथा अन्य अनेक शिक्षकों तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने दायर की थीं। अदालत ने इस सिलसिले में अपना आदेश पिछली 10 मार्च को सुरक्षित रख लिया था जिसे बुधवार को सुनाया गया।

याचिकाकर्ताओं ने 28 मार्च 2005 को राज्य सरकार के तत्कालीन विशेष सचिव द्वारा जारी आदेश को चुनौती दी थी जिसमें एक अप्रैल 2005 से नई पेंशन योजना लागू करने की बात कही गई थी। याचिकाकर्ताओं को इस आधार पर पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने से इंकार कर दिया गया था कि उनके संस्थानों को वर्ष 2006 में यानी एक अप्रैल 2005 की कट ऑफ तारीख के बाद अनुदान सूची में शामिल किया गया है।

याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्रा ने दलील देते हुए कहा की विशेष सचिव का आदेश न तो राज्य सरकार का नीतिगत निर्णय माना जा सकता है और ना ही यह कोई सरकारी अधिसूचना थी। चूंकि याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति कट ऑफ तारीख यानी एक अप्रैल 2005 से पहले हुई है, उन्हें पुरानी पेंशन योजना के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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