अमेरिका में ‘रैन्समवेयर’ हमले की गहन जांच

बोस्टन (अमेरिका), साइबर सुरक्षा कर्मियों ने सबसे बड़े ‘रैन्समवेयर’ हमले के प्रभाव को कम करने के लिए रविवार को जी-जान लगा कर काम किया, जिसमें पता चला है कि रूस से जुड़े संगठन ने कम्पनी की निजता का उल्लंघन कैसे किया।

साइबर सुरक्षा के शोधकर्ताओ ने बताया कि कुख्यात ‘रेविल’ संगठन ने शुक्रवार को कम से कम 17 देशों को निशाना बनाया था। ऐसा मुख्य तौर पर उन कम्पनियों के माध्यम से किया गया जो कई ग्राहकों के लिए आईटी अवसंरचना का दूरस्थ रूप से प्रबंधन करती हैं। इसने ‘मेमोरियल डे’ हमले के बाद मांस प्रसंस्करण कंपनी​ ‘जेबीएस’ से 1.1 करोड़ अमरीकी डॉलर की जबरन वसूली की थी।

संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने रविवार को एक बयान में कहा था कि वह, संघीय ‘‘साइबर सिक्योरिटी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटी एजेंसी’ के साथ मिलकर हमले की जांच कर रहे है।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने रविवार को कहा था कि अगर क्रेमलिन के इसमें शामिल होने की बात सामने आई, तो अमेरिका इसका कड़ा जवाब देगा। बाइडन ने कहा कि उन्होंने खुफिया तंत्र से गहराई से इस मामले की जांच करने को कहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने करीब एक महीने पहले ही ‘रेविल’ और अन्य ‘रैन्समवेयर’ समूहों को पनाह ना देने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बनाया था। बाइडन ने इन समूहों की जबरन वसूली को अमेरिकी सुरक्षा के लिए खतरा बताया था।

‘रैन्समवेयर’ एक प्रकार का ‘मालवेयर’ है, जिसका इस्तेमाल किसी संगठन के दस्तावेजों की चोरी करने और फिर उनके दम पर फिरौती मांगने के लिए किया जाता हैं। ‘मालवेयर’ वास्तव में एक संदिग्ध सॉफ्टवेयर है, जिसे कंप्यूटर वायरस भी कहते हैं।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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