अमेरिकी सांसदों ने दुनिया में समान तरीके से टीका आपूर्ति सुनिश्चित करने का अनुरोध किया

वाशिंगटन, अमेरिका के शीर्ष सांसदों ने कोविड-19 रोधी टीकों की ढाई करोड़ खुराकें भारत और अन्य देशों को देने के बाइडन प्रशासन के निर्णय की शुक्रवार को सराहना की। वहीं, कई सांसदों ने बाइडन प्रशासन से दुनिया में समान तरीके से टीका आपूर्ति सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने देश में कोविड-19 टीके की अतिरिक्त 75 प्रतिशत खुराकें संयुक्त राष्ट्र के सहयोग वाली ‘कोवैक्स’ पहल को आवंटित करने की योजना की बृहस्पतिवार को घोषणा की।

इसके तहत अतिरिक्त 2.5 करोड़ खुराकों में पहली किस्त के तौर पर करीब 1.9 करोड़ खुराकें दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ अफ्रीका के लिए आवंटित की जाएंगी।

यह कदम जून अंत तक आठ करोड़ टीके की खुराक दुनिया के देशों के साथ साझा करने की योजना का हिस्सा है।

अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने कहा कि भारत, अमेरिकी टीका पाने अहम लाभार्थी होगा क्योंकि भारत को आज घोषित टीका आवंटन की श्रेणी – पड़ोसी एवं सहयोगी देशों को सीधे आपूर्ति और कोवैक्स पहल में शामिल किया गया है।

‘सीनेट इंडिया कॉकस’ के सह अध्यक्ष एवं सांसद जॉन कॉर्ने ने कहा, ‘‘मैं कोविड-19 रोधी टीके उन देशों को देने की बाइडन प्रशासन की प्रतिबद्धता की सराहना करता हूं, जिन्हें इनकी सर्वाधिक आवश्यकता है।’’

कॉर्ने ने ट्वीट किया, ‘‘सीनेट इंडिया कॉकस का सह अध्यक्ष होने के नाते, मेरा मानना है कि यह भारत की मदद करने का अच्छा अवसर है, ताकि वह वर्तमान स्थिति से निपट सके।’’

सांसद सिंडी हाइड स्मिथ ने कहा कि जब भारत कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने का प्रयास कर रहा है, ऐसे में यह जरूरी है कि अपने मित्र और अहम सहयोगी की मदद के लिए अमेरिका में मौजूद टीकों की अतिरिक्त खुराकें साझा की जाएं।

उन्होंने कहा, ‘‘परिस्थितियों के सामान्य होने और इस घातक वैश्विक महामारी को समाप्त करने में वैश्विक सहयोग की जरूरत होगी।’’

सांसद शीला जैक्सन ली ने भी बाइडन प्रशासन के इस कदम की सराहना की है। ली ने हाल में ह्यूस्टन में भारतीय अमेरिकी समुदाय के लोगों के साथ भारत में संक्रमण के हालात पर चर्चा की थी।

टेक्सास से सांसद ली ने कहा, ‘‘भारत एक करीबी मित्र और हमारा रणनीतिक साझेदार है। भारत ने पिछले वर्ष अमेरिका में वैश्विक महामारी के दौरान देश की मदद की थी, मैं बाइडन प्रशासन से टीके की अतिरिक्त खुराकें तत्काल भेजने का अनुरोध करती हूं ताकि भारत संक्रमण के हालात से निपट सके।’’

इस बीच, 40 से ज्यादा सांसदों ने राष्ट्रपति जो बाइडन को पत्र लिखकर उनसे दुनिया में कोविड-19 रोधी टीकों की समान रूप से आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाने का अनुरोध किया है।

दो भारतवंशी सांसदों प्रमिला जयपाल और राजा कृष्णमूर्ति के नेतृत्व में टॉम मलिनोवस्की ने यह अनुरोध किया। इस पत्र पर भारतवंशी सांसद रो खन्ना समेत अन्य सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं।

पत्र में सांसदों ने वैश्विक स्तर पर त्वरित और समान रूप से टीके की आपूर्ति के लिए राष्ट्रपति से वित्तीय निवेश से लेकर राजनयिक प्रयासों तक पांच कदम उठाने का अनुरोध किया है।

यह पत्र जी 7 शिखर सम्मेलन से पहले ऐसे समय भेजा जा रहा है जब विश्व के सम्पन्न देशों ने वैश्विक टीके का 80 प्रतिशत से अधिक इस्तेमाल किया है और कम आय वाले देशों को महज 0.3 प्रतिशत टीका मिला।

सांसदों ने कहा, ‘‘हम आपसे जितनी जल्दी संभव हो दुनिया का टीकाकरण करने के लिए एक साहसिक, व्यापक रणनीति बनाने के लिए अतिरिक्त कदम उठाने का अनुरोध करते हैं।’’

सांसदों ने राष्ट्रपति बाइडन से तत्काल आठ करोड़ टीके की खुराक जारी करने का अनुरोध किया जिसे सरकार दुनिया के देशों के साथ बांटने की योजना बना रही है।

उन्होंने बाइडन से आठ अरब एमआरएनए टीके की खुराक के उत्पादन के अवलोकन के मकसद से बायोमेडिकल एडवांस रिसर्च एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (बीएआरडीए) को अधिकृत करने के लिए बिल्ड बैक बेटर एजेंडा में 25 अरब डॉलर के अतिरिक्त निवेश का अनुरोध किया। टीके की इतनी खुराक दुनिया की आधी आबादी के टीकाकरण के लिए पर्याप्त है।

सांसदों ने राष्ट्रपति से टीका निर्माण में त्वरित एवं व्यापक स्तर पर प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और विस्तार के लिए अमेरिका के प्रभाव, मौजूदा तमाम कूटनीतिक एवं विधिक अधिकारों के इस्तेमाल पर भी जोर दिया।

उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के कोविड-19 पूल कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) को भी शामिल करने का अनुरोध किया। साथ ही, टीका निर्माता कंपनियों के मौजूदा लाइसेंस अनुबंधों के तहत बातचीत के जरिये टीका सुनिश्चित करने के लिए व्यापक स्तर पर टीका निर्माण प्रौद्योगिकी साझा करने एवं उत्पादन बढ़ाने को लेकर औद्योगिक प्रक्रियाओं को गति देने का अनुरोध किया।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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