आदिवासियों को अपने सशक्तिकरण को लेकर द्रौपदी मुर्मू से है काफी उम्मीदें

रांची, द्रौपदी मुर्मू सोमवार को देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने वाली हैं, तो ऐसे में झारखंड के आदिवासियों के बीच काफी उम्मीदें और आकांक्षाएं हैं और वे ‘‘सदियों की उपेक्षा’’ के बाद अपने सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त होने को लेकर आशांवित हैं।

वे इस बात के लिए भी आशान्वित हैं कि राज्य की पूर्व राज्यपाल मुर्मू आदिवासियों की इस पुरानी मांग को पूरा करने के लिए कदम उठाएंगी कि केंद्र उनके धर्म को ‘सरना’ के तौर पर मान्यता दे और अगली जनगणना में इस श्रेणी के तहत उनकी गणना सुनिश्चित करे।

पांच राज्यों (झारखंड, ओडिशा, बिहार, असम और पश्चिम बंगाल) के 250 जिलों में ‘आदिवासी सेंगल अभियान’ (आदिवासी सशक्तिकरण अभियान) की अगुवाई कर रहे सालखन मुर्मू ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘जैसा कि बंगाली ‘सोनार बांग्ला’ को अपनी पहचान और केंद्र मानते हैं, आदिवासी झारखंड को अपना केंद्र मानते हैं। वे चाहते हैं कि उनसे जुड़ी संस्कृति और परंपराओं को यहां संरक्षित किया जाए। हमें विश्वास है कि द्रौपदी मुर्मू ‘सरना संहिता’ की स्थापना की दिशा में कदम उठाएंगी।’’

सालखन मुर्मू ने याद किया कि कैसे झारखंड की तत्कालीन राज्यपाल के रूप में निर्वाचित मुर्मू ने कई मौकों पर कड़ा रुख अपनाया था, जब “आदिवासी मुद्दों से समझौता किया गया था” – पिछली भाजपा सरकार के दौरान एक विधेयक लौटा दिया था जिसका उद्देश्य भूमि कानूनों में संशोधन करना था, साथ ही जब झामुमो के नेतृत्व वाली हेमंत सोरेन सरकार द्वारा जनजातीय सलाहकार परिषद में बदलाव का प्रस्ताव रखा गया था।

सालखन मुर्मू ने कहा, ‘‘हम आदिवासी प्रकृति पूजक हैं। ‘सरना संहिता’ को न मानने का मतलब होगा आदिवासियों को दूसरे धर्म अपनाने के लिए मजबूर करना। हम समय मांगेंगे और राष्ट्रपति भवन में उनसे मुलाकात करेंगे।’’

झारखंड की केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा कि आदिवासी उम्मीद कर रहे हैं कि राष्ट्रपति भवन के दरवाजे आदिवासियों के लिए हमेशा खुले रहेंगे। आदिवासी सेंगेल अभियान की राष्ट्रीय संयोजक सुमित्रा मुर्मू ने कहा, ‘‘आदिवासियों और पूरे देश की बेहतरी का समय आ गया है।’’

इससे पहले, झारखंड विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करके जनगणना में ‘सरना’ को एक अलग धर्म के रूप में शामिल करने की बात कही थी। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले महीने एक ट्वीट में कहा था, “हमने विधानसभा में सरना आदिवासी धर्म संहिता पारित किया है और इसे केंद्र को भेज दिया है।’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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