इंडियन नेशनल कांग्रेस का नाम ‘आई नीड कमीशन’ कर दिया जाना चाहिए: भाजपा

नयी दिल्ली, फ्रांस की एक मीडिया रिपोर्ट में वर्ष 2007 से 2012 के बीच भारत से राफेल विमान करार के लिए दलाली दिए जाने के खुलासे का हवाला देते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को कहा कि इंडियन नेशनल कांग्रेस (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) का नाम बदल कर ‘‘आई नीड कमीशन’’ कर दिया जाना चाहिए।

साथ ही पार्टी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस जब सत्ता में थी तब यह सौदा इसलिए विफल हो गया था क्योंकि वह दलाली के तहत मिलने वाली राशि से संतुष्ट नहीं थी।

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस नेतृत्व पर करारा हमला किया, खासकर उसके पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर, और आरोप लगाया कि वह ‘‘अफवाह, झूठ और भ्रामक सूचनाएं’’ फैलाते हैं।

ज्ञात हो कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर राफेल सौदे में दलाली के आरोप लगाते रहे हैं।

पात्रा ने फ्रांस की खोजी पत्रिका ‘मीडियापार्ट’ की ओर से किए गए ताजा खुलासे पर राहुल गांधी से जवाब मांगे।

उन्होंने कहा, ‘‘इटली से राहुल गांधी जी जवाब दें कि राफेल को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश आपने और आपकी पार्टी ने इतने वर्षों तक क्यों की ?’’

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सरकारी आवास की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार ‘‘बेघर’’ हो गया है और इसका पता है 10, जनपथ।

कांग्रेस ने भाजपा पर पलटवार किया और कहा कि सरकार ने मामले को रफा दफा करने का अभियान चला रखा है। पार्टी ने मांग की है कि सरकार ने अभी तक इस पूरे प्रकरण की जांच क्यों नहीं करवाई।

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस राफेल करार को लेकर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग करती रही है लेकिन सरकार आज तक इसके लिए राजी नहीं हुई।

राफेल को लेकर देश की राजनीति एक बार फिर गर्म हो गई जब मीडियापार्ट ने ताजा दावे किए कि फ्रांसीसी विमान निर्माता कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने भारत से यह सौदा हासिल करने में मदद के लिए एक बिचौलिये को गोपनीय रूप से करीब 7.5 मिलियन यूरो का भुगतान किया। और दसॉल्ट कंपनी को इस घूस की राशि देने में सक्षम बनाने के लिए कथित रूप से फर्जी बिलों का इस्तेमाल किया गया।

मीडियापार्ट की पड़ताल के अनुसार, दसॉल्ट एविएशन ने 2007 और 2012 के बीच मॉरीशस में बिचौलिए को रिश्वत का भुगतान किया।

कांग्रेस के नेतृत्व में 2004 से 2014 तक केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार थी। इसके बाद केंद्र में मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनी। राजग सरकार ने 23 सितंबर, 2016 को भारतीय वायु सेना के लिए 36 राफेल जेट विमान खरीदने का सौदा किया था।

राफेल सौदे को लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस सरकार पर हमलावर रही है। उसने सरकार पर सौदे में भारी अनियमितता का आरोप लगाते हुए कहा था कि सरकार प्रत्येक विमान को 1,670 करोड़ रुपये से अधिक कीमत पर खरीद रही है, जबकि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने इसे 526 करोड़ रुपये में अंतिम रूप दिया था।

कांग्रेस पर पलटवार करते हुए पात्रा ने कहा कि निश्चित तौर पर कांग्रेस और गांधी परिवार की असंतुष्टि ही थी जिसकी वजह से संप्रग सरकार के दौरान यह सौदा तय नहीं हो सका।

उन्होंने कहा कि मीडियापार्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘‘संप्रग शासन के दौरान ‘‘भ्रष्टाचार, प्रभाव और पक्षपात’’ था। उन्होंने कहा, ‘‘यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि आईएनसी का नाम आई नीड कमीशन’ कर दिया जाना चाहिए।’’

पात्रा ने कहा, ‘‘सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, राबर्ट वाड्रा…सभी कहते हैं कि उन्हें कमीशन चाहिए।’’

संप्रग सरकार में हर करार के भीतर एक करार होता था।

कांग्रेस अक्सर कहती रही है कि भाजपा और उसके सदस्य राजनीतिक बदले की भावना के तहत उसके और गांधी परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहते हैं।

पात्रा से जब यह पूछा गया कि कांग्रेस कह रही है कि सरकार इस मामले की जांच क्यों नहीं करवा रही है, तो उन्होंने कहा कथित दलाल को पहले प्रवर्तन निदेशालय ने भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तार किया था। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसिंया इस मामले को जरूर देख रही होंगी।

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कथित दलाल सुशेन मोहन गुप्ता का नाम राफेल मामले में भी सामने आया था। वह वीवीआईपी विमान खरीदे जाने के मामले में भी आरोपी था।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय और भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक ने मोदी सरकार द्वारा किए गए राफेल सौदे के विषयवस्तु को देखा है और उसमें कुछ भी गलत नहीं पाया है।

उन्होंने कहा कि 2019 के चुनावों से पहले विपक्षी दलों ने, खासकर कांग्रेस पार्टी ने जिस प्रकार से एक झूठा माहौल बनाने की कोशिश राफेल को लेकर की थी, वह सभी ने देखा था।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने इस सौदे को लेकर कई सवाल उठाए थे, लेकिन सरकार ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था।

राफेल निर्माता दसॉल्ट एविएशन और भारत के रक्षा मंत्रालय ने इससे पहले करार में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज किया था।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Getty Images

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