एनआरसी आवेदकों का बायोमेट्रिक डाटा ‘लॉक’ किेये जाने का मामला असम ने केंद्र के समक्ष उठाया है : हिमंत

गुवाहाटी, असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को अद्यतन करने के दौरान दावे एवं आपत्ति की प्रक्रिया के दौरान एनआरसी के आवेदकों की बायोमेट्रिक जानकारी ‘लॉक’ कर दी गई, जिसकी वजह से वे आधार के लिए पंजीकरण नहीं करा पा रहे हैं। राज्य सरकार ने इस मुद्दे को उचित प्राधिकार के समक्ष उठाया है। यह जानकारी सोमवार को असम विधानसभा में राज्य सरकार द्वारा दी गई।

एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बताया कि किसी भी अर्हता प्राप्त लाभार्थी को प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण (पीएमएवाई-जे) और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लाभ से आधार कार्ड नहीं होने की वजह से वंचित नहीं किया गया है।

उल्लेखनीय है कि 31 अगस्त 2019 को एनआरसी का अंतिम मसौदा प्रकाशित करने से पहले दावे एवं आपत्ति की प्रक्रिया के दौरान 27 लाख से ज्यादा आवेदकों की बायोमेट्रिक जानकारी एकत्रित की गई थी। हालांकि, एनआरसी के अंतिम मसौदे को अब भी भारत के महापंजीयक (आरजीआई) द्वारा अधिसूचित किया जाना बाकी है।

एनआरसी की चल रही प्रक्रिया लंबित होने की वजह से इन आवेदकों के आंकड़ों को फ्रीज कर दिया गया है, जिसकी वजह से वे आधार नंबर प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं और उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

सत्तारूढ़ भाजपा के विधायक कौशिक राय के सवाल का जवाब देते हुए सरमा ने सदन को बताया कि राज्य सरकार ने लोगों के एक हिस्से के आधार संख्या नहीं प्राप्त कर पाने का मुद्दा उठाया है क्योंकि उनकी बायोमेट्रिक जानकारी आरजीआई और केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा ‘लॉक’ कर दी गई है।

सदन में मुख्यमंत्री की ओर से जवाब रखा गया क्योंकि वह गृहमंत्री का भी प्रभार संभाल रहे हैं। हालांकि, इस दौरान वह सदन में मौजूद नहीं थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पीएमएवाई-जी योजना के लिए असम में आधार को लिंक करना अबतक अनिवार्य नहीं है।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Twitter

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