कभी मओवादियों के गढ़ रहे पुरुलिया को अगामी चुनाव से विकास की उम्मीद

पुरुलिया (पश्चिम बंगाल), एक बार फिर चुनाव आने के साथ ही पश्चिम बंगाल के आर्थिक रूप से पिछड़े जिले पुरुलिया के लोगों की इलाके का विकास और औद्योगीकरण की इच्छा जाग गई ताकि वे गरीबी की बेड़ियों और अनदेखी से मुक्त हो सके।

हालांकि इलाके के विकास को लेकर राजनीतिक दलों के लंबे चौड़े वादे, वादे ही रहे हैं।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रघुनाथपुर में 62 हजार करोड़ के निवेश के साथ औद्योगिक पार्क बनाने की घोषणा की है। वहीं भाजपा का कहना है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस सालों से झूठे वादे करती आई है। भाजपा ने जोर दिया कि भगवा पार्टी कभी माओवादी प्रभावित रहे इस जिले के लोगों का बेहतर भविष्य सुनिश्चित करेगी।

काशीपुर गांव के निवासी संबू माझी का कहना है कि लोगों की बेहतरी जिले के औद्योगिक विकास से ही हो सकती है, यहां कई लोग अपनी मूलभूत जरूरतों को भी पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

तृणमूल कांग्रेस, भाजपा और वाम दल सहित सभी दल पुरुलिया जिले के नौ विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव में विकास के मुद्दे को लेकर आगे बढ़ रहे हैं।

भाजपा वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पुरुलिया की नौ में से आठ सीटों पर मिली बढ़त को बरकरार रखने की कोशिश कर रही है जबकि तृणमूल कांग्रेस की कोशिश वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव की स्थिति को दोहराने की है।

झारखंड से सटे इस जिले में भाजपा वर्ष 2018 पंचायत चुनाव से ही बढ़त बनाती दिख रही है जिसमें वह सत्तारूढ़ पार्टी से कुछ सीटें छीनने में कामयाब हुई थी।

भाजपा के जिला अध्यक्ष विद्यासागर चक्रवर्ती ने दावा किया कि पुरुलिया में विकास का नहीं होना अहम मुद्दा है। उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस नेता एवं कार्यकर्ता अपनी संपत्ति बनाने में व्यस्त रहे बजाए लोगों के हित में काम करने के।

चक्रवर्ती ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह इलाका छोटा नागपुर पठार का हिस्सा है जिस पर खेती मुश्किल है और उद्योगों की कमी की वजह से अतिरिक्त श्रम बल के पास दूसरे राज्यों में प्रवासी मजदूर बनने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।’’

तृणमूल कांग्रेस के पुरुलिया जिले के अध्यक्ष गुरुपदा तुडु ने दावा किया कि ममता बनर्जी सरकार ने विकास के लिए कई पहल की जिनमें उद्योगों की परियोजनाएं एवं बेरोजगार युवाओं को काम दिलाने की पहल शामिल है।

वाम नेता ने दावा किया कि वाम मोर्चे की सरकार ने अपने शासन के दौरान कई उद्योगों को जिले में स्थापित करने की पहल की थी और कई कंपनियों को जमीन भी आवंटित की थी जिसे उन्होंने बाद में लौटा दिया।

उन्होंने दावा किया कि वाम मोर्च की सरकार ने इलाके में इस्पात कारखाना लगाने की योजना बनाई थी लेकिन तृणमूल सरकार ने इसे आगे नहीं बढ़ाया।

उन्होंने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार की वजह से उद्यमी चले गए । हमारा लक्ष्य साफ सुधरी और जनहित की सरकार स्थापित करने की है।

उल्लेखनीय है कि जंगल से घिरा पुरुलिया जिला माओवाद प्रभावित रहा है लेकिन वर्ष 2010 के बाद संगठन में शामिल कई स्थानीय लोग मुख्यधारा में आ गए।

उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में हो रहे विधानसभा चुनाव के पहले चरण 27 मार्च को पुरुलिया की नौ सीटों- बंदवान, बलरामपुर, बाघमुंडी, जॉयपुर, पुरुलिया, मनबाजार, काशीपुर, पाड़ा और रघुनाथपुर- पर मतदान होगा।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikipedia

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