किसानों का जेल के गेट के बाहर धरना, साथी किसानों की रिहायी की मांग

नोएडा, भारतीय किसान परिषद के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में किसान लुक्सर स्थित जिला कारागार के गेट पर धरने पर बैठ गए हैं। किसान नेताओं का आरोप है कि नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने जेल में बंद सभी किसानों को बुधवार को छोड़ने का वादा किया था, लेकिन मात्र 31 किसानों को छोड़ा गया है, जबकि अभी 48 किसान जेल में हैं।

भारतीय किसान परिषद के अध्यक्ष सुखबीर खलीफा ने बताया कि एक सितंबर से विभिन्न मांगों को लेकर 81 गांव के किसान नोएडा प्राधिकरण के कार्यालय के बाहर धरना दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि धरना देने गए किसानों नेताओं को समय-समय पर पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा।

उन्होंने बताया कि उनके समेत करीब 100 किसान नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार किया। उन्होंने बताया कि इसके बावजूद भी किसानों का नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है। उन्होंने बताया कि कल 21 किसान नेताओं को जेल से रिहा किया गया था।

उन्होंने बताया कि मंगलवार को नोएडा प्राधिकरण व पुलिस विभाग के अधिकारी जेल में आए तथा उन्होंने कहा कि जेल में बंद किसानों को वे लोग रिहा करा देंगे। उन्होंने किसानों से कहा कि वे नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन से वार्ता करें, तथा जो भी किसानों की समस्या है उसके हल के लिए बीच का रास्ता अपनाएं।

सुखबीर खलीफा ने कहा, ‘‘अधिकारियों के आश्वासन पर हमने चेयरमैन के साथ बैठक करने की बात मान ली लेकिन नोएडा प्राधिकरण व पुलिस अधिकारियों ने किसानों को धोखा दिया। आज सभी किसानों को रिहा करने के बजाय सुबह सिर्फ 4 किसान नेताओं- सुखबीर खलीफा, उदल यादव, राजेंद्र यादव, तथा सुधीर चौहान- को छोड़ा गया।’’

उन्होंने बताया कि इस बात से आक्रोशित वे लोग अपने सैकड़ो साथियों सहित जेल परिसर के गेट पर धरने पर बैठ गए। उन्होंने बताया कि धरने के बाद शाम को पुलिस ने 27 किसान नेताओं को जेल से रिहा किया लेकिन अभी भी जेल के अंदर 48 किसान नेता बंद हैं। उन्होंने कहा कि जब तक जेल में बंद उनके सभी किसान साथियों को नहीं छोड़ा जाता तब तक वह जेल के बाहर चल रहा धरना खत्म नही करेंगे, और ना ही नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे।

वहीं जेल अधीक्षक अरुण प्रताप सिंह ने बताया, ‘‘हमें 4 किसानों को रिहा करने का परवाना मिला था। उसके आधार पर हमने किसानों को रिहा कर दिया। उनका कहना है कि अगर और किसानों को रिहा करने का आदेश मिलेगा, तो वह किसानों को रिहा कर देंगे।’’

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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