केंद्र सभी हिमनद झीलों की संभावित संवेदनशीलता का पता लगाने के लिए योजना पर काम कर रहा : सूत्र

नयी दिल्ली, केंद्र राज्यों के सहयोग से जमीनी सर्वेक्षण के जरिये देश में सभी हिमनद झीलों की संवेदनशीलता का पुनर्मूल्यांकन करेगा और संभावित हिमनद झील बाढ़ (जीएलओएफ) के बारे में जानकारी का प्रसार करने के लिए एक निगरानी प्रणाली स्थापित करेगा। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी।
यह निर्णय इस महीने की शुरुआत में भारी बारिश के कारण सिक्किम के ल्होनक झील में उफान से आई विनाशकारी बाढ़ के बाद लिया गया है। बाढ़ के परिणामस्वरूप कम से कम 60 लोगों की मौतें हुईं और व्यापक क्षति भी हुई। इसके कारण चुंगथांग बांध भी नष्ट हो गया, जिसे तीस्ता-3 बांध के रूप में भी जाना जाता है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के एक सूत्र ने कहा, ‘‘देश में हिमनद झीलों की संवेदनशीलता का एक व्यापक मूल्यांकन आवश्यक है। इन झीलों के बारे में हमारी वर्तमान समझ मुख्य रूप से ‘रिमोट सेंसिंग’ (सुदूर संवेदन) पर आधारित है। अब हम सभी हिमनद झीलों का जमीनी मूल्यांकन करने की योजना बना रहे हैं। इस अभ्यास के बिना इनके संभावित जोखिम का निर्धारण नहीं किया जा सकता है।’’
हिमनद झीलें, ग्लेशियर के पिघलने और उसके निकट इस पानी के जमा होने से बनती हैं। हिमनद झील बाढ़ तब आती है, जब ग्लेशियर के पिघलने से अचानक पानी उस झील से बाहर आता है। इसके परिणामस्वरूप निचले इलाके में अचानक बाढ़ आ जाती है। यह बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों और पर्यावरण, दोनों के लिए बेहद विनाशकारी और खतरनाक हो सकती है।
सूत्र ने कहा कि चूंकि हिमनद झीलें दूरदराज और ऊंचाई वाले इलाकों में स्थित हैं, ऐसे में जमीनी सर्वेक्षण करना एक चुनौतीपूर्ण काम है। इसलिए इस कार्य में विशेषज्ञ दल की सहायता ली जाएगी।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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