चिंतन शिविर: कांग्रेस के संगठन में सुधार व ध्रुवीकरण से निपटने को लेकर दिया जाएगा स्पष्ट संदेश

नयी दिल्ली, कांग्रेस के समक्ष मौजूद ‘अप्रत्याशित संकट’ से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर से लेकर स्थानीय स्तर तक के संगठन में व्यापक सुधार और ‘ध्रुवीकरण’ की राजनीति से निपटने जैसे मुद्दों पर पार्टी के ‘नवसंकल्प चिंतन शिविर’ में मुख्य रूप से चर्चा की जाएगी तथा पार्टी स्पष्ट संदेश देगी कि वह इन मुद्दों एवं अन्य विषयों पर आगे क्या करने जा रही है।

पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

सूत्रों ने बताया कि उदयपुर में 13-15 मई को होने जा रहे इस चिंतन शिविर में जो ‘नवसंकल्प’ दस्तावेज जारी होगा, वह कदम उठाने से जुड़ी घोषणा वाला दस्तावेज (एक्शनेबल डिक्लियरेशन) होगा जिसमें यह संदेश भी दिया जाएगा कि राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन के लिए ‘मजबूत कांग्रेस’ का होना जरूरी है तथा गठबंधन से पहले कांग्रेस को मजबूत किया जाना महत्वपूर्ण है।

सूत्रों ने यह भी बताया कि इस शिविर में कांग्रेस अध्यक्ष के स्तर पर बदलाव को लेकर शायद चर्चा नहीं हो क्योंकि इसके चुनाव की घोषणा पहले ही हो चुकी है।

इस चिंतन शिविर में राजनीति, सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण, अर्थव्यवस्था, संगठन, किसान एवं कृषि तथा युवाओं से जुड़े विषयों पर छह अलग-अलग समूहों में 430 नेता चर्चा करेंगे यानी हर समूह में करीब 70 नेता शामिल होंगे।

सूत्रों ने मीडिया के एक हिस्से में आई उन खबरों को भी खारिज कर दिया जिनमें कहा गया था कि कांग्रेस इस चिंतन शिविर में ‘एक परिवार, एक टिकट’ मुद्दे पर चर्चा कर इस संबंध में कोई निर्णय ले सकती है।

कांग्रेस के सूत्र ने कहा, ‘‘पिछले दिनों कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में सोनिया गांधी के समक्ष पार्टी महासचिव मुकुल वासनिक ने लोगों की ओर से आए कई सुझावों का उल्लेख किया जिनमें यह बात शामिल थी, लेकिन इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है।’’

सूत्रों के अनुसार, राजनीति से संबंधित समूह ‘ध्रुवीकरण’ और इससे निपटने के बारे में मुख्य रूप से चर्चा करेगा। इसके साथ ही केंद्र-राज्य संबंधों, जम्मू-कश्मीर में परिसीमन और कुछ अन्य मुद्दों पर भी बात होगी।

सूत्रों ने यह भी बताया, ‘‘आर्थिक मामलों का समूह चिंतन शिविर में सरकारी इकाइयों के निजीकरण, महंगाई, नोटबंदी के बाद पैदा हुई स्थिति, कोरोना काल के दौरान कुप्रबंधन और राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति की बकाया राशि पर चर्चा करेगा।’’

उन्होंने कहा कि सामजिक न्याय से संबंधित पार्टी का समूह अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अल्पसंख्यकों और महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करेगा।

सूत्रों के अनुसार, कृषि से संबंधित समूह न्यूनतम समर्थन मूल्य, गेहूं की खरीद सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेगा वहीं युवा मामलों से संबंधित समूह राष्ट्रीय शिक्षा नीति, शिक्षा एवं रोजगार से जुड़े मुद्दों पर मंथन करेगा।

उन्होंने यह भी बताया कि संगठन संबंधी समूह चिंतन शिविर में पार्टी में राष्ट्रीय स्तर से लेकर स्थानीय स्तर के संगठन में सुधार एवं परिवर्तन पर चर्चा करेगा तथा उसके बाद स्पष्ट होगा कि आगे क्या किया जाना है।

कांग्रेस के एक सूत्र ने कहा, ‘‘दिग्विजय सिंह और प्रियंका गांधी की मौजूदगी वाले समूह ने संगठन को आगे बढ़ाने एवं आंदोलन के कार्यक्रमों को लेकर पूरा रोडमैप तैयार किया है। इस पर भी चर्चा होगी।’’

उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘अब दिखावटी बदलावों से काम नहीं चलेगा, बल्कि ऐसे बदलाव करने हैं जो दिखे और उसका असर हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज की स्थिति अभूतपूर्व है। कांग्रेस के सामने अप्रत्याशित संकट है… ऐसे में हमें इस चिंतन शिविर के माध्यम से आगे उठाए जाने वाले कदमों के बारे में स्पष्ट संदेश देना है।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव को लेकर कोई बात होगी तो उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव पहले ही घोषित हो चुका है। फिर इस बारे में क्या बात हो सकती है? यह हो सकता है कि वहां लोग यह बात जरूर करें कि राहुल गांधी को अध्यक्ष बनना चाहिए। वैसे चुनाव अगस्त-सितंबर में होना है।’’

चिंतन शिविर की शुरुआत 13 मई को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संबोधन के साथ होगी। इसके बाद छह अलग अलग समूहों में नेतागण चर्चा करेंगे और फिर इससे निकले निष्कर्ष को ‘नवसंकल्प’ के रूप में कांग्रेस कार्य समिति 15 मई को मंजूरी देगी। राहुल गांधी 15 मई को शिविर को संबोधित करेंगे।

सूत्रों का यह भी कहना है कि चिंतन शिविर में अलग-अलग समूहों की चर्चा के दौरान उनमें शामिल होने वाले नेताओं को संभवत: मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं दी जाए, जैसे कांग्रेस कार्य समिति की बैठकों में होता है।

इस बारे में कांग्रेस के एक सूत्र ने कहा, ‘‘यह स्वभाविक है। कई बार मीडिया में ऐसी बातें सामने आती हैं जिनमें सच्चाई नहीं होती… कांग्रेस कार्य समिति की पिछली बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी कहा था कि यहां जो बात होती है, वह बाहर चली जाती है।’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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