चीन के कोरोना वायरस रोधी टीके कम असरदार: अधिकारी

बीजिंग, चीन के शीर्ष रोग नियंत्रण अधिकारी ने कहा है कि देश के कोरोना वायरस संक्रमण रोधी टीके कम असरदार हैं और सरकार इन्हें और अधिक प्रभावी बनाने पर विचार कर रही है।

चीन के रोग नियंत्रण केन्द्र (सीडीसी) के निदेशक गाओ फू ने शनिवार को चेंगदू शहर में एक संगोष्ठी में कहा कि चीन के टीकों में ‘‘बचाव दर बहुत ज्यादा नहीं है।’’

गाओ का यह बयान ऐसे वक्त में सामने आया है जब चीन ने अन्य देशों को टीकों की करोड़ों खुराकें दी हैं और पश्चिमी देशों के टीकों के प्रभावी होने पर संशय पैदा करने और बढ़ावा देने की भी वह लगातार कोशिश कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘अब इस बात पर गंभीरता से विचार हो रहा है कि क्या हमें टीकाकरण प्रक्रिया के लिए अलग-अलग टीकों का इस्तेमाल करना चाहिए।’’

अधिकारियों ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में गाओ की टिप्पणी या आधिकारिक योजनाओं में संभावित परिवर्तनों को लेकर सवालों के सीधे जवाब नहीं दिए, लेकिन सीडीसी के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि एमआरएनए-आधारित टीकों पर काम किया जा रहा है।

अधिकारी वांग हुआंग ने कहा, ‘‘हमारे देश में विकसित एमआरएनए-आधारित टीके भी क्लीनिकल परीक्षण चरण में प्रवेश कर चुके हैं।’’

विदेश मंत्रालय के अनुसार, दवा निर्माता कंपनियों सिनोवैक और सिनोफार्म द्वारा बनाए गए टीके मेक्सिको, तुर्की, इंडोनेशिया, हंगरी, ब्राजील और तुर्की सहित कई देशों को वितरित किए गए हैं।

ब्राजील के शोधकर्ताओं ने चीन की टीका निर्माता कंपनी सिनोवैक के संक्रमण रोधी टीकों के असरदार होने की दर लक्षण वाले संक्रमण से बचाव में 50.4 प्रतिशत पाई। वहीं, इसके मुकाबले फाइजर द्वारा बनाए गए टीके 97 प्रतिशत असरदार पाए गए।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अनुमोदन प्रक्रिया की जटिलता के कारण अमेरिका, पश्चिमी यूरोप और जापान को चीनी टीके बेचे जाने की संभावना नहीं है।

गौरतलब है कि चीन ने अपने देश में किसी अन्य देश के टीके के इस्तेमाल को अभी मंजूरी नहीं दी है।

गाओ ने टीके के संबंध में रणनीति पर किसी तरह के बदलाव के ब्योरे तो नहीं दिए लेकिन उन्होंने ‘एमआरएनए’ का जिक्र किया। यह प्रयोग की एक तकनीक है, जिसका इस्तेमाल पश्चिम देशों के टीका निर्माता करते हैं, वहीं चीन के दवा निर्माता पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्येक व्यक्ति को उन लाभ के बारे में विचार करना चाहिए, जो एमआरएनए टीके मानव जाति को पहुंचा सकते हैं। हमें सावधानी से उसका अनुसरण करना चाहिए और केवल इसलिए उसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए कि हमारे पास पहले से ही अनेक प्रकार के टीके हैं।’’

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikipedia

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