चुनावी बॉण्ड: एसआईटी से जांच कराने के अनुरोध वाली याचिका उच्चतम न्यायालय में दाखिल

नयी दिल्ली, अपारदर्शी चुनावी बॉण्ड योजना को लेकर जारी विवाद के बीच उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है जिसमें राजनीतिक दलों  कॉरपोरेट घरानों और चुनावी बॉण्ड के जरिये दिये गये चंदे की जांच कर रही एजेंसियों के अधिकारियों के बीच ‘‘परस्पर लाभ पहुंचाने’’ की कथित घटनाओं की अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच कराने का अनुरोध किया गया है। 

शीर्ष अदालत की पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने 15 फरवरी को राजनीतिक दलों को गोपनीय रूप से चंदा देने से जुड़ी भाजपा सरकार की चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द कर दिया था।

उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद चुनावी बॉण्ड के अधिकृत विक्रेता बैंक ‘भारतीय स्टेट बैंक’ ने निर्वाचन आयोग के साथ डेटा साझा किया था  जिसने बाद में सूचनाओं को सार्वजनिक कर दिया।

सरकार द्वारा दो जनवरी  2018 को अधिसूचित चुनावी बॉण्ड योजना को राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में पेश किया गया था। इस योजना को राजनीतिक दलों को चंदा देने में पारदर्शिता लाने के प्रयास के तहत शुरू किया गया था।

  वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में अधिकारियों को विभिन्न राजनीतिक दलों को ‘मुखौटा कंपनियों और घाटे में चल रही कंपनियों’ की ओर से दिये गये चंदे के स्रोत की जांच करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। ऐसी कंपनियों द्वारा चंदा दिये जाने का खुलासा चुनावी बॉण्ड से जुड़े डेटा के माध्यम से किया गया है।

गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘कॉमन कॉज और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ द्वारा दायर याचिका में इसे ‘घोटाला’ करार देते हुए अधिकारियों को ‘शेल कंपनियों और घाटे में चल रही कंपनियों’ के वित्त पोषण के स्रोत की जांच करने का निर्देश देने की मांग की गई है  जिन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों को चंदा दिया था  जैसा कि चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला है।

वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में अधिकारियों को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि कंपनियों द्वारा राजनीतिक दलों को ‘लेन-देन व्यवस्था’ के तहत चंदे में दी गई रकम को वसूला जाए।  

इसमें कहा गया है  ‘‘2जी घोटाले या कोयला घोटाले के विपरीत  जहां स्पेक्ट्रम और कोयला खदानों पट्टों का आवंटन मनमाने ढंग से किया गया था  चुनावी बॉण्ड घोटाले में धन के लेन-देन का सबूत है। फिर भी इस अदालत ने उक्त दोनों घोटालों में अदालत की निगरानी में जांच का आदेश दिया। उन मामलों से निपटने के लिए विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किए गए और विशेष अदालतों का गठन किया गया।’’

याचिका में कहा गया है  ‘‘चुनावी बॉण्ड घोटाले में ऐसा प्रतीत होता है कि देश की कुछ प्रमुख जांच एजेंसियां ​​जैसे कि सीबीआई  प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग भ्रष्टाचार का सहायक बन गई हैं।’’

इसमें दावा किया गया है कि कई कंपनियां जो इन एजेंसियों की जांच के दायरे में थीं  उन्होंने जांच के नतीजों को संभावित रूप से प्रभावित करने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी को चंदे के रूप में बड़ी रकम दी। 

याचिका में कहा गया है कि इस ‘घोटाले’ की जांच उच्चतम न्यायालय द्वारा चयनित मौजूदा/सेवानिवृत्त जांच अधिकारियों के बने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा की जानी चाहिए जो शीर्ष अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में काम करेगा। 

याचिका में आरोप लगाया गया  ‘‘डेटा से पता चलता है कि चुनावी बॉण्ड की शुरूआत से फर्जी कंपनियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई जिनका इस्तेमाल कॉरपोरेट घरानों ने अवैध धन को वैध बनाने के लिए किया।’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

%d bloggers like this: