चुनाव के बाद ममता बनर्जी के साथ गठबंधन का कोई सवाल ही नहीं: अधीर चौधरी

कोलकाता, पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने राज्य विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश मिलने की स्थिति में ममता बनर्जी नीत तृणमूल कांग्रेस को समर्थन देने या बनर्जी से समर्थन लेने की संभावना को पूरी तरह खारिज किया है।

बनर्जी पर चुनावों को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाते हुए चौधरी ने दावा किया कि सरकार बनाने के लिए आवश्यक संख्या बल नहीं होने की स्थिति में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा हाथ मिला सकते हैं।

चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘भाजपा एवं सांप्रदायिक राजनीति ममता बनर्जी के कारण ही पश्चिम बंगाल में पैर जमा सके हैं। चुनाव बाद, बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में तृणमूल को समर्थन देने का कोई सवाल ही नहीं है।’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘इसी तरह, कांग्रेस-वाम-आईएसएफ संयुक्त मोर्चा द्वारा सरकार बनाने के लिए बनर्जी का समर्थन मांगने की भी कोई संभावना नहीं है। चुनाव के बाद बहुमत के आंकड़े से पीछे रहने की स्थिति में तृणमूल कांग्रेस के साथ किसी तरह के गठबंधन की कोई संभावना नहीं है।’’

चौधरी से जब पूछा गया कि तृणमूल कांग्रेस को समर्थन देने से कांग्रेस और वाम मोर्चा के इनकार से क्या भाजपा को फायदा पहुंचेगा तो उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह के परिदृश्य में आप देखेंगे कि तृणमूल और भाजपा सरकार बनाने के लिए हाथ मिला लेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह पुरानी शराब का स्वाद बढ़ जाता है उसी तरह पुराने मित्र विश्वासपात्र होते हैं। तृणमूल और भाजपा गठबंधन सहयोगी रह चुके हैं, वे हाथ मिला लेंगे। वे एक ही सिक्के के दो पहलुओं की तरह हैं।’’

ममता बनर्जी द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत विपक्षी दलों के नेताओं से समर्थन मांगने के लिए पत्र लिखे जाने पर चौधरी ने चुटकी ली।

उन्होंने कहा, ‘‘बीते दस वर्षों में ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को जानबूझ कर नुकसान पहुंचाया जबकि कांग्रेस ने सत्ता में आने में उनकी मदद की। अब विडंबना देखिए, वह इतनी घबरा गईं कि उन्होंने उसी कांग्रेस के आगे आत्मसमर्पण कर दिया जिसे उन्होंने राजनीतिक रूप से खत्म करने की कोशिश की थी।’’

वाम दल को सत्ता से बाहर करने के लिए 2011 में तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस से हाथ मिलाए थे हालांकि बाद में यह गठबंधन टूट गया था।

चौधरी ने कहा, ‘‘कांग्रेस नेतृत्व तृणमूल के राजनीतिक चरित्र से भलीभांति वाकिफ है। पहले तृणमूल ने कहा था कि कांग्रेस में दम नहीं बचा है लेकिन अब वह हमारे आगे हाथ फैला रही हैं।’’

बनर्जी को आरएसएस-भाजपा की ‘‘सबसे बड़ी और सर्वाधिक भरोसेमंद’’ सहयोगी बताते हुए चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी भाजपा विरोधी ताकत के रूप में भरोसे लायक नहीं है और अब समय आ गया है जब तृणमूल के ‘‘कुशासन’’ को विदा कर दिया जाए।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikipedia

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