जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने स्थानीय आर्द्रभूमि के कायाकल्प के लिए विशाल परियोजना शुरू की

श्रीनगर, कश्मीर में अधिकारियों ने होकरसर आर्द्रभूमि के कायाकल्प के लिए एक बड़ी परियोजना शुरू की है।
होकरसर आर्द्रभूमि घाटी के आठ रामसर स्थलों में से एक है, जो सर्दियों के दौरान जल शोधक, बाढ़ क्षेत्रों और प्रवासी पक्षियों के ठिकानों के रूप में कार्य करते हैं।

रामसर स्थल आर्द्रभूमि क्षेत्र होते हैं, जिनका अंतर्राष्ट्रीय महत्व है। आर्द्रभूमि क्षेत्र सम्मेलन को रामसर सम्मेलन कहा जाता है। रामसर सम्मेलन 1971 में यूनेस्को द्वारा स्थापित एक अंतरराष्ट्रीय आर्द्रभूमि संधि है। भारत में वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय महत्व के रामसर स्थल के रूप में 54 स्थल नामित हैं।

जम्मू-कश्मीर के वन्यजीव संरक्षण विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इन आर्द्रभूमियों के कायाकल्प के साथ-साथ वहां की पारिस्थितिकी पर्यटन क्षमता का दोहन करने के लिए एक व्यापक योजना बनाई गई है।

जम्मू-कश्मीर के मुख्य वन्यजीव वार्डन राशिद नकाश ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘इन आर्द्रभूमियों को संरक्षित और सुरक्षित किया जाएगा क्योंकि इनका पारिस्थितिक मूल्य अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वे बाढ़ अवशोषण तंत्र का निर्माण करती हैं क्योंकि वे झेलम नदी बेसिन में स्थित हैं।’’

राशिद नकाश ने कहा कि आर्द्रभूमि जैव विविधता से भरपूर क्षेत्र हैं जो सर्दियों के दौरान लाखों पक्षियों को आकर्षित करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘गर्मियों में प्रादेशिक पक्षियों के मामले में हमारे पास प्रवासी पक्षी बड़ी संख्या में होते हैं और सर्दियों के दौरान कुछ निवासी प्रजातियां भी होती हैं।’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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