टीडीएस बकाया रहने के आधार पर नहीं शुरू हो सकती दिवाला कार्यवाहीः अपीलीय न्यायाधिकरण

नयी दिल्ली, राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने एक फैसले में कहा है कि स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) का भुगतान नहीं करने को आधार बनाकर किसी भी कंपनी के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया नहीं शुरू की जा सकती है।

राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की कोलकाता पीठ के एक आदेश को खारिज करते हुए अपीलीय पंचाट ने कहा, “कंपनी का एक परिचालक ऋणदाता टीडीएस बकाया की वसूली के लिए ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) की प्रक्रिया का इस्तेमाल नहीं कर सकता है।”

एनसीएलएटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा, “टीडीएस का भुगतान नहीं करने के परिणामों का उल्लेख आयकर अधिनियम,1961 में किया गया है और आयकर अधिकारियों के पास इस दिशा में समुचित कदम उठाने की पर्याप्त शक्तियां हैं।”

पीठ ने कहा कि एनसीएलटी ने इस मामले में टीडीएस नहीं जमा करने को चूक मानते हुए कर्जदार कंपनी के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने का आदेश देकर ‘गंभीर त्रुटि’ कर दी है। पीठ ने कहा, “यह सोचना हमारा काम नहीं है कि टीडीएस का भुगतान हुआ है या नहीं। एनसीएलटी ने आईबीसी कानून की धारा 9 को लागू कर इसमें गंभीर त्रुटि की है।”

अपीलीय न्यायाधिकरण ने कहा कि ऐसी स्थिति में एनसीएलटी के आदेश को निरस्त किया जाता है। इसके साथ ही परिचालक ऋणदाता पर दिवाला प्रक्रिया के दुरुपयोग के लिए एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

एनसीएलटी ने टीम टॉरस रियल्टी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर की तरफ से 66,884 रुपये और 1.10 लाख रुपये की दो टीडीएस किस्तों का भुगतान नहीं किए जाने पर ऋणदाता की अर्जी के आधार पर कंपनी के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : https://twitter.com/legal_raj/status/1130462024389939200/photo/1

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