डिजिटल बाजारों पर कब्जे को रोकने संबंधी नए यूरोपीय कानून के तहत एप्पल, गूगल, मेटा की जांच शुरू

लंदन, यूरोपीय संघ के नियामकों ने सोमवार को एप्पल, गूगल और मेटा की जांच शुरू कर दी, जो बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों को डिजिटल बाजारों पर कब्जा करने से रोकने के लिए बनाए गए नए कानून के तहत पहला मामला है। इस संबंध में 27 देशों के समूह की कार्यकारी शाखा के रूप में काम करने वाले यूरोपीय आयोग ने कहा कि वह डिजिटल बाजार अधिनियम (डीएमए) के “गैर-अनुपालन” को लेकर कंपनियों की जांच कर रहा है।

डिजिटल बाजार अधिनियम इस महीने की शुरुआत में पूर्ण रूप से प्रभावी हुआ था। यह एक व्यापक नियम पुस्तिका है जो “मुख्य प्लेटफ़ॉर्म सेवाएं” प्रदान करने वाली बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों को लक्षित करती है। यूरोपीय आयोग की उपाध्यक्ष मार्ग्रेथ वेस्टेगर ने ब्रसेल्स में एक प्रेस वार्ता में कहा कि आयोग को शिकायतें मिली हैं कि प्रौद्योगिकी कंपनियों के अनुपालन संबंधी उपायों की संख्या में कमी आई है।

उन्होंने कहा, “आज, हमने इनमें से कई संदिग्ध गैर-अनुपालन मुद्दों की जांच करने का निर्णय लिया है। और जैसे ही हमें अन्य समस्याओं का पता लगेगा, हम उनसे भी निपटेंगे।”

वेस्टेगर ने कहा कि कंपनियों से कुछ दस्तावेज़ों के लिए कहा गया है, जिनकी आयोग वर्तमान और भविष्य की जांच कर सकता है।

नियामक इस बात पर गौर कर रहा है कि क्या गूगल और एप्पल, डीएमए के नियमों का पूरी तरह से अनुपालन कर रहे हैं। आयोग ने कहा कि यह चिंताजनक है कि दोनों कंपनियां आवर्ती शुल्क वसूलने सहित “विभिन्न प्रतिबंध और सीमाएं” लगा रही हैं जो ऐप्स को स्वतंत्र रूप से ‘ऑफ़र’ को बढ़ावा देने से रोकती हैं।

गूगल ने कहा कि उसने डीएमए का अनुपालन करने के लिए यूरोप में अपनी सेवाओं के संचालन के तरीके में “महत्वपूर्ण बदलाव” किए हैं। आयोग यह भी जांच कर रहा है कि क्या एप्पल, आईफोन उपयोगकर्ताओं को आसानी से वेब ब्राउज़र बदलने की अनुमति देने के लिए पर्याप्त प्रयास कर रहा है। एप्पल ने कहा कि उसे विश्वास है कि उसकी योजना डीएमए का अनुपालन करती है, और वह “जांच कर रहे यूरोपीय आयोग का रचनात्मक रूप से सहयोग करना जारी रखेगा।” आयोग यूरोपीय उपयोगकर्ताओं के लिए फेसबुक या इंस्टाग्राम के विज्ञापन-मुक्त संस्करणों के लिए मासिक शुल्क का भुगतान करने के लिए मेटा के विकल्प की भी पड़ताल कर रहा है।

मेटा ने कहा कि वह आयोग के साथ रचनात्मक सहयोग जारी रखेगी। आयोग ने कहा कि उसका लक्ष्य 12 महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करने का है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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