दिल्ली के छोटे अस्पतालों के सामने ऑक्सीजन की सीमित आपूर्ति के कारण मुश्किल

नयी दिल्ली, दिल्ली के कुछ बड़े अस्पतालों में गत रात ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई लेकिन यहां कोविड-19 का इलाज कर रहे छोटे अस्पताल सीमित आपूर्ति की वजह से अब भी संकट का सामना कर रहे हैं।

कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली के अस्पताल ऑक्सीजन की कमी का सामना कर रहे हैं।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार रात को केंद्र को आदेश दिया कि वह ‘तुंरत’ ऑक्सीजन की उन अस्पतालों को आपूर्ति करे, जहां उसकी जरूरत है और जहां पर कोविड-19 के उन मरीजों का इलाज हो रहा है, जिनकी हालत गंभीर है।

अदालत ने टिप्पणी की कि ‘‘ऐसा लगता है कि राज्य के लिए इन्सानों की जान की कोई कीमत नहीं है’’।

केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को आश्वस्त किया कि वह दिल्ली को आवंटित 480 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की व्यवस्था करेगी और यह बिना किसी बाधा के दिल्ली पहुंचेगी।

हालांकि, कई निजी अस्पतालों ने शिकायत की कि उन तक कोई मदद नहीं पहुंची है।

जनकपुरी स्थित 210 बिस्तरों के माता चनन देवी अस्पताल के अधिकारियों ने दिल्ली सरकार को आपात संदेश भेज कर कहा कि ‘‘ मरीजों के अनुपात में उनके यहां ऑक्सीजन की कमी है।’’

आईसीयू के प्रमुख डॉक्टर ए सी शुक्ला ने कहा, ‘‘करीब 40 मरीज आईसीयू में भर्ती हैं। हमें कल रात करीब 500 किलोग्राम ऑक्सजीन मिली। आपूर्तिकर्ता को तड़के चार बजे और ऑक्सीजन की आपूर्ति करनी थी लेकिन तब से वह फोन नहीं उठा रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली सरकार के हस्तक्षेप से हमे 21 डी श्रेणी के सिलेंडर मिले लेकिन इसकी नियमित आपूर्ति की जरूरत है। स्थित बहुत ही गंभीर है।’’

50 बिस्तरों वाले धर्मवीर सोलंकी अस्पताल के डॉ.पंकज सोलंकी ने बताया कि अस्पताल ‘बैक अप’ में रखी ऑक्सीजन का इस्तेमाल कर रहा है जो बृहस्पतिवार दोपहर तक ही चल सकेगी।

उन्होंने कहा कि अधिकारियों से 30 मरीजों को स्थानांतरित करने के लिए संपर्क किया गया है।

हालांकि, कुछ बड़े अस्पतालों ने कहा कि उन्हे गत रात को ऑक्सीजन की नयी खेप मिली है एवं और आने की उम्मीद है।

लोक नायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ.सुरेश कुमार ने बताया कि ऑक्सीजन के तीन टैंकर रात को अस्पताल पहुंचे।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘सुबह साढे आठ बजे तक आठ घंटे के लिए ऑक्सीजन बची थी। हां, अब और आ रही है।’’

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Pixabay

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