देवी काली पर टिप्पणी को लेकर कानून के अनुसार कदम उठाए जाएंगे: धनखड़ ने साधु-संतों को दिया आश्वासन

कोलकाता, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को साधु-संतों के एक प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया कि वह तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा देवी काली के बारे में की गई कथित टिप्पणियों को लेकर कानून के तहत अपनी क्षमता के अनुसार सभी कदम उठाएंगे।

धनखड़ ने कहा कि वह साधु-संतों के ज्ञापन पर अच्छी तरह गौर करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं कानून के तहत अपनी क्षमता के अनुसार हर संभव कदम उठाऊंगा।’’

यहां राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात करने वाले प्रतिनिधिमंडल में पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी भी शामिल थे। उन्होंने हाथ में देवी काली का चित्र ले रखा था।

तृणमूल कांग्रेस की नेता एवं लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा ने पांच जुलाई को यह टिप्पणी कर विवाद खड़ा कर दिया था कि जिस तरह हर व्यक्ति को अपने तरीके से देवी-देवताओं की पूजा करने का अधिकार है, उसी तरह उन्हें देवी काली की मांस भक्षण करने वाली एवं मदिरा स्वीकार करने वाली देवी के रूप में कल्पना करने का पूरा अधिकार है।

कोलकाता में एक कार्यक्रम में भाग लेते हुए कृष्णानगर से सांसद मोइत्रा ने देवी काली के बारे में यह टिप्पणी उस वक्त की थी, जब उनसे एक फिल्म के पोस्टर के बारे में पूछा गया, जिसमें देवी काली को धूम्रपान करते हुए दर्शाया गया है।

धनखड़ ने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि बंगाल में देवी काली के बारे में जो चेतना दिखाई देती है, वह पूरे देश में श्रद्धेय है और देवी पर की गई टिप्पणियों पर कानून के तहत कदम उठाए जाने की जरूरत है।

तीन साल पहले राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभालने वाले धनखड़ और तृणमूल सरकार के बीच कई बार विवाद हो चुका है। धनखड़ ने कहा कि वह राज्य में मौजूदा स्थिति से दुखी हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘संविधान कहता है कि हर कोई समान है… इस तरह के विचारों का यहां कोई अस्तित्व नहीं है। इस राज्य में तुष्टिकरण लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाएगा।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि केवल एक वर्ग के लोगों को राज्य में वित्तीय सशक्तीकरण, राहत और सहायता दी जा रही है।

उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति की मौत होने की स्थिति में, राहत मुहैया कराते समय उसकी जाति, पंथ या रंग नहीं देखा जाता है, लेकिन बंगाल में उन्हें कुछ अलग ही दिखाई देता है।

उन्होंने कहा, ‘‘समस्याएं तब पैदा होती हैं, जब एक की उपेक्षा की जाती है, लेकिन दूसरे को हर तरह की सहायता दी जाती है। यह शासन के लिए एक बड़ी चुनौती है।’’

तृणमूल के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि पार्टी ‘‘देवी काली या किसी देवी या देवता का अपमान नहीं करती।’’

उन्होंने कहा कि साधु-संतों को ‘‘गुमराह’’ किया गया, जिसके कारण वे भाजपा के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे राज्यपाल के पास प्रतिनिधिमंडल लेकर पहुंचे।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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