नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड चीन की अपनी यात्रा के दौरान नये मानचित्र का मुद्दा उठाएंगे: अधिकारी

काठमांडू, नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल ‘‘प्रचंड’’ अपनी आगामी चीन यात्रा के दौरान पड़ोसी देश की ओर से जारी किये गये नये मानचित्र से संबंधित मामला उठायेंगे जिसमें कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को भारतीय क्षेत्रों के रूप में दिखाया गया है। सत्तारूढ़ गठबंधन सहयोगी सीपीएन-माओवादी सेंटर के एक वरिष्ठ नेता ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सीपीएन-माओवादी सेंटर के प्रवक्ता अग्नि सपकोटा ने कहा कि इस सप्ताह चीन की ओर से जारी किये गये मानचित्र से संबंधित मामले को यात्रा के दौरान राजनयिक माध्यम से उठाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री प्रचंड 15 सितंबर को अमेरिका और बाद में चीन की यात्रा के लिए काठमांडू से रवाना होंगे। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष पुष्पकमल दहाल प्रचंड अपनी आगामी चीन यात्रा के दौरान चीनी नेतृत्व के साथ इस मामले पर चर्चा करेंगे। यात्रा के दौरान चीन द्वारा जारी किये गये मानचित्र से संबंधित मामले को राजनयिक माध्यम से उठाने की जरूरत है।’’ नेपाल द्वारा 2020 में एक नया राजनीतिक मानचित्र प्रकाशित करने के बाद भारत और नेपाल के बीच संबंध कई मौकों पर तनावपूर्ण हो गए थे, जिसमें तीन भारतीय क्षेत्रों – लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को नेपाल के हिस्से के रूप में दिखाया गया था। भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे ‘‘एकतरफा कार्रवाई’’ बताया था और नेपाल को आगाह किया था कि क्षेत्रीय दावों का ऐसा ‘‘कृत्रिम विस्तार’’ उसे स्वीकार्य नहीं होगा। चीन ने सोमवार को अपने राष्ट्रीय मानचित्र का नया संस्करण जारी किया जिसे भारत, मलेशिया, वियतनाम और ताइवान समेत कई देशों ने खारिज कर दिया था। भारत ने मंगलवार को चीन के तथाकथित ‘मानक मानचित्र’ पर कड़ा विरोध दर्ज कराया था, जिसमें अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन पर दावा किया गया है। भारत ने कहा था कि इस तरह के कदम सीमा विवाद के समाधान को केवल जटिल बनाते हैं।विदेश मंत्रालय ने भी चीन के दावों को ‘‘आधारहीन’’ बताते हुए खारिज कर दिया था।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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