न्यायालय ने मतों का वीवीपैट के साथ मिलान के अनुरोध वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

नयी दिल्ली  उच्चतम न्यायालय ने ईवीएम के जरिए डाले गए मतों का वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के साथ पूर्ण मिलान की मांग वाली विभिन्न याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने याचिकाओं पर निर्वाचन आयोग का जवाब सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।  

याचिकाकर्ताओं ने वीवीपैट मशीनों पर पारदर्शी कांच को अपारदर्शी कांच से बदलने के आयोग के 2017 के फैसले को उलटने की भी मांग की है  जिसके जरिए कोई मतदाता केवल सात सेकंड के लिए रोशनी चालू होने पर ही पर्ची देख सकता है। आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने बताया कि ईवीएम किस प्रकार काम करती है।  

याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील प्रशांत भूषण और वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन पेश हुए। उच्चतम न्यायालय ने 16 अप्रैल  को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की आलोचना और मतपत्रों के जरिए चुनाव की लौटने की मांग की निंदा करते हुए कहा था कि भारत में चुनावी प्रक्रिया एक  बहुत बड़ा काम  है और  व्यवस्था को खराब करने  का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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