केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने 9 जून, 2022 को भारत में अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए पारेषण योजना पर एक बैठक की। बैठक में विद्युत सचिव आलोक कुमार और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव श्री इंदु शेखर चतुर्वेदी उपस्थित थे। बैठक के दौरान, गुजरात और तमिलनाडु के तटों पर कुल 10 गीगावाट क्षमता की अपतटीय पवन परियोजनाओं के लिए आवश्यक पारेषण और निकासी बुनियादी ढांचे पर चर्चा की गई। इस पर केंद्रीय ट्रांसमिशन यूटिलिटी (सीटीयू) की ओर से मंत्री को प्रस्तुत दिया गया।
विस्तृत समीक्षा के बाद, अपतटीय पवन ऊर्जा ब्लॉकों के लिए बोली लगाने का निर्णय लिया गया। वित्त वर्ष 22-23 से शुरू होने वाले पहले दो वर्षों में 8 गीगावॉट की बोली लगाने की परियोजना क्षमता भी कार्बन क्रेडिट जैसी हरित विशेषताओं का लाभ उठा सकेगी।
पहले 12 गीगावाट के लिए बोली एकल चरण दो लिफाफा मॉडल पर आयोजित की जाएगी जिसमें बोलीदाताओं का मूल्यांकन उनकी तकनीकी-वाणिज्यिक क्षमताओं के आधार पर किया जाएगा और केवल तकनीकी रूप से योग्य बोली लगाने वाले ही वित्तीय मूल्यांकन के लिए आगे बढ़ेंगे। वित्तीय मूल्यांकन समुद्र तल क्षेत्र के प्रति वर्ग किमी उद्धृत लीज शुल्क पर आधारित होगा। समुद्र तल क्षेत्र के प्रति वर्ग किलोमीटर उच्चतम पट्टा शुल्क की पेशकश करने वाले बोलीदाता को परियोजना के आवंटन के लिए विजेता घोषित किया जाएगा।
अपतटीय पूलिंग सबस्टेशन (पीएसएस) से ऑनशोर ट्रांसमिशन तक बिजली की निकासी और ट्रांसमिशन सभी ऑफशोर पवन क्षमताओं के लिए नि: शुल्क प्रदान किया जाएगा, जिनकी वित्तीय वर्ष 29-30 तक बोली लगाई जाएगी। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय अपनी कार्यान्वयन एजेंसी के माध्यम से तमिलनाडु के तट पर 4.0 GW क्षमता के बराबर अपतटीय पवन ऊर्जा ब्लॉकों को पट्टे पर देने के लिए अगले तीन से चार महीनों में पहली बोली जारी करेगा।
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