पीएमएलए मामला: नागपुर के वकील सतीश ऊके, उनके भाई छह अप्रैल तक ईडी की हिरासत में भेजे गये

मुंबई, प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कथित धनशोधन के मामले में अपने भाई प्रदीप के साथ गिरफ्तार नागपुर के वकील सतीश ऊके ने शुक्रवार को अदालत में कहा कि उन्हें ‘‘ राजनीतिक बदले’’की वजह मामले में फंसाया गया है।

अदालत ने ऊके और उनके भाई प्रदीप को छह अप्रैल तक के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया है।

नागपुर के पार्वती नगर में स्थित अधिवक्ता के आवास पर बृहस्पतिवार को ईडी के छापा मारने के बाद ऊके बंधुओं को धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया गया।

उन दोनों को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जी बी राव के समक्ष शुक्रवार को पेश किया गया।

ईडी के मुताबिक, ऊके बंधुओं के खिलाफ पीएमएलए का मामला नागपुर में कुछ समय पहले कथित तौर पर जाली दस्तावेजों के आधार पर 1.5 एकड़ जमीन खरीदने से संबद्ध है। ईडी ने आरोप लगाया है कि यह जमीन दोनों भाइयों के नाम से खरीदी गई थी।

ईडी ने ऊके बंधुओं के खिलाफ मामला नागपुर के अजनी थाना में कथित जालसाजी और धोखाधड़ी के संबंध में दर्ज दर्ज दो प्रथमिकी के आधार पर दर्ज किया।

उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता सतीश ऊके ने भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं, खासतौर पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ अदालतों में कई याचिकाएं दायर कर रखी हैं।

फडणवीस के चुनावी हलफनामे में आपराधिक मामलों का खुलासा नहीं करने को लेकर उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की ऊके की एक अर्जी में मांग की गई थी।

अधिवक्ता ऊके ने बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में याचिका दायर कर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के न्यायाधीश बी. एच. लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में और असमय मृत्यु की पुलिस जांच का आदेश देने का भी आग्रह किया था। न्यायाधीश लोया, 2014 के सोहराबुद्दीन शेख कथित फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे।

ऊके, महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले के भी वकील हैं, जिन्होंने (कांग्रेस नेता ने) कथित तौर पर अवैध रूप से अपना फोन टैप किये जाने को लेकर यहां एक दीवानी अदालत में भारतीय पुलिस सेवा की अधिकारी एवं राज्य खुफिया विभाग की पूर्व प्रमुख रश्मि शुक्ला व अन्य के खिलाफ 500 करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा दायर किया था।

हिरासत पर सुनवाई के दौरान ऊके की ओर से पेश अधिवक्ता रवि जाधव ने आरोप लगाया कि ईडी ने उनके मुवक्किल को बृहस्पतिवार की सुबह छह बजे हिरासत में लिया और उन्हें घर या कार्यालय जाने नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि उन्हें कानून के तहत अनिवार्य हिरासत में लिए जाने के 24 घंटे के भीतर अदालत में पेश नहीं किया गया।

वकील ने दावा किया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ मामला ‘‘राजनीतिक बदले’ के तहत दर्ज किया गया है।

जाधव ने कहा कि हमारे पास उस लेनदेने से जुड़े सभी दस्तावेज हैं जिसपर सवाल उठाया गया है और आरोपी ईडी के साथ जांच में सहयोग करने को तैयार है।

उन्होंने कहा कि आरोपी ने एक प्राथमिकी के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय के नागपुर पीठ का रुख किया है और उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की है कि उन्होंने मजबूत मामला तैयार किया है जबकि दूसरे मामले में आरोपी को नागपुर के सत्र न्यायालय से अग्रिम जमानत मिली है।

उन्होंने दावा किया कि सतीश और प्रदीक ऊके के खिलाफ पीएमएलए के तहत कोई मामला नहीं बनता और और उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।

ईडी के लिए पेश विशेष अभियोजक हितेन वेनगावकर ने अदालत को बताया कि आरोपियों के नागपुर आवास की तलाशी ली गई और उन्हें बृहस्पतिवार शाम पांच बजकर 10 मिनट पर गिरफ्तार किया गया न कि दावे के मुताबिक सुबह।

अभियोजक ने कहा कि आरोपी ने दस्तावेज में फर्जीवाड़ा किया गया और अचल संपत्ति हासिल की। उन्होंने कहा कि इस मामले में उनसे पूछताछ जरूरी है।

न्यायधीश ने दोनों पक्षों की ओर से पेश लंबी दलीलों को सुनने के बाद कहा कि ‘‘ उन्हें ऐसा कोई तथ्य नहीं मिला कि आरोपियों की गिरफ्तारी सुबह हुई है।’’

अदालत ने कहा कि मामला पीएमएलए के तहत दर्ज किया गया है और विस्तृत जांच की जरूरत है। इसलिए दोनों को ईडी की हिरासत में भेजा जाता है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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