स्थानीय निकायों के मामले में संसद का हस्तक्षेप संघीय ढांचे की आत्मा के विरूद्ध : गोयल

नयी दिल्ली, लोकसभा द्वारा दिल्ली के तीनों नगर निगमों के एकीकरण संबंधी विधेयक पारित किए जाने के कुछ ही दिनों बाद दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने शुक्रवार को कहा कि स्थानीय निकायों के मामले में हस्तक्षेप ‘भारतीय संविधान और संघीय ढांचे की आत्मा के विरूद्ध’ है।

विधानसभा परिसर में बजट के बाद हुए संवाददाता सम्मेलन में गोयल ने कहा कि पूर्ववर्ती दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को ‘‘लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत’’ बांटा गया था।

गोयल ने कहा, ‘‘विधानसभा अध्यक्ष होने के नाते मेरा अपना प्रोटोकॉल है, लेकिन ऐसा लग रहा है कि यह कदम (एकीकरण) चुनाव (स्थानीय निकाय की) में देरी करने के लिए उठाया गया है।’’

विधानसभा अध्यक्ष ने चुनाव नजदीक आने के बाद दिल्ली के तीनों नगर निगमों के एकीकरण संबंधी केन्द्र के प्रस्ताव की कटु आलोचना करते हुए कहा कि ‘‘देश का इतिहास गवाह है कि जिस भी पार्टी ने चुनाव में देरी का प्रयास किया है उसे, उसके दुष्परिणाम भुगतने पड़े हैं।’’

दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधयेक बुधवार को लोकसभा में पारित किया गया।

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इस विधेयक का लक्ष्य तीनों नगर निगमों का विलय करके उन्हें एक करना और बेहतर बनाना है ताकि संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग किया जा सके।

लोकसभा में विपक्षर द्वारा सुझाए गए विभिन्न संसोधन खारिज कर दिए गए और इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

गोयल ने कहा, ‘‘दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधयेक, जिम्मेदारियां सूचीबद्ध किए बगैर केन्द्र को और अधिक शक्तियां देता है। दिल्ली सरकार नगर निगम का वित्त पोषण जारी रखेगी लेकिन निगम का नियंत्रण केन्द्र के हाथों में होगा।’’

उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘इस विषय पर व्यक्त किए गए राजनीतिक विचारों पर ध्यान दिए बगैर, विधानसभा अध्यक्ष होने के नाते मैं कहना चाहूंगा कि स्थानीय निकायों के मामलों में संसद का हस्तक्षेप करना संविधान और संघीय ढांचे कीक आत्मा के विरूद्ध है।’’

यह पूछने पर कि निगमों के एकीकरण विधेयक का दिल्ली विधानसभा पर भी प्रभाव पड़ेगा, गोयल ने 2011 से पहले निगम को तीन हिस्से में बांटे जाने से पहले के दिनों को याद किया।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Twitter

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