पुरुषों के मुकाबले महिलाएं कम खुश : खुशी पाने के लिए मनोचिकित्सक ने सुझाये चार उपाय

प्रेस्टन (ब्रिटेन), महिलाओं में खुशी को लेकर हो रहे अनुसंधान में कुछ अजीब चीजें देखने को मिल रही हैं। पहले से अधिक स्वतंत्रता और रोजगार के अवसर होने के बावजूद महिलाओं में व्यग्रता का उच्च स्तर और मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियां जैसे कि अवसाद, आक्रोश, अकेलापन और अनिद्रा की समस्याएं सामने आ रही हैं। यह स्थिति कई देशों में अलग-अलग आयु वर्ग में देखने को मिल रही है।अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में इसके कुछ सुराग मिले हैं। नतीजों में पाया गया कि ज्यादातर अमेरिकी महिलाएं समाज द्वारा उनके प्रति किए गए व्यवहार को लेकर नाखुश हैं।कई महिलाएं अब भी बच्चों और बुजुर्ग रिश्तेदारों की देखभाल करती हैं। ज्यादातर महिलाओं पर नौकरी पेशा के अलावा घर और परिवार की जिम्मेदारी संभालने का दोहरा बोझ होता है। कार्यस्थल पर पांच में से तीन महिलाओं ने छेड़छाड़, यौन उत्पीड़न या मौखिक दुर्व्यवहार का सामना किया है।महामारी के दौरान खुशहाली के मामले में लैंगिक अंतर सामने आया, क्योंकि कई महिलाओं ने काम के अलावा घरेलू कामकाज की जिम्मेदारी भी अपने ऊपर ले लीं। यह भी देखा गया कि महिलाओं की सेहत पर इसका अधिक दुष्प्रभाव पड़ा, लेकिन वे जल्दी ठीक हो गईं, जिससे यह संकेत मिलता है कि महिलाएं, पुरुषों की तुलना में अधिक भावुक होती हैं।महिलाओं के विषम परिस्थितियों में संभलने की एक वजह सामाजिक संबंध है। 2019 के एक अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि दूसरों के साथ सकारात्मक संबंधों के साथ-साथ व्यक्तिगत विकास के मामले में महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक अंक प्राप्त किए। संक्षेप में, महिलाएं समर्थन पाने में पुरुषों से बेहतर होती हैं। वे जल्दी मदद मांगती हैं और इसलिए प्रतिकूल परिस्थितियों पर जल्दी काबू पाने की संभावना अधिक होती है।खुशी बनाम उद्देश्यभले ही महिलाएं इस समय पुरुषों की तरह खुश नहीं हो सकती हैं और उन्हें अधिक सामाजिक असमानता का सामना करना पड़ता है। लेकिन एक हालिया अध्ययन के मुताबिक महिलाओं के जीवन में अधिक उद्देश्य होते हैं। और जीवन में प्रयोजन और उद्देश्य का होना बेहतर स्वास्थ्य और लंबे समय तक जीने से जुड़ा है।अध्ययन के मुताबिक, महिलाएं अधिक परोपकारी कार्यों में शामिल होती हैं, जैसे कि दूसरों की मदद करना और दान देना। इससे जीवन के प्रयोजन और उद्देश्य की अधिक समझ पैदा होती है। उपरोक्त तथ्यों के मद्देनजर महिलाओं को स्व कल्याण के लिए समय निकालने की जरूरत है। ऐसा करने में आपकी सहायता के लिए यहां चार पुख्ता तरीके इस प्रकार हैं।

1) मुक्त अभिव्यक्ति केवल आपके लिए एक जगह हो, जहां पर आप अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकें। यह आपके मनोवैज्ञानिक आरोग्य के लिए महत्वपूर्ण है। कला-आधारित उपचार महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हैं क्योंकि इसके लिए महिलाए समूह में रहती हैं और इससे अन्य महिलाओं के साथ खुलकर बात करने का मौका मिलता है जो उनमें सामाजिक वर्जना और शर्म की भावनाओं को कम कर सकते हैं।

2) प्रकृति से जुड़ाव प्राकृतिक परिवेश में समय बिताना बहुत आरामदायक हो सकता है। एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि प्रकृति-आधारित हस्तक्षेप विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए लाभकारी है जो आघात या बीमारी का अनुभव कर चुकी हैं। इसलिए सुनिश्चित करें कि आप अपनी दैनिक या साप्ताहिक योजनाओं में प्रकृति के बीच कुछ समय बिताने को भी शामिल करें जैसे समुद्र तट पर टहलना, जंगल में दौड़ना या पार्क में किताब पढ़ना।

3) खुद आगे बढ़ें अध्ययनों से पता चलता है कि जब महिलाएं नियमित शारीरिक गतिविधि में शामिल होती हैं तो इससे उनमें आत्म-स्वीकृति की भावना आती है और उनका व्यक्तिगत विकास होता है। महिलाओं की उम्र बढ़ने के साथ-साथ व्यायाम विशेष रूप से सहायक होते हैं। इनसे रजोनिवृत्ति (मेनोपॉस के) के लक्षणों में सुधार दिखता है।

4) शराब का त्याग करें महिलाओं को शराब का सेवन करने के कारण यौन उत्पीड़न के जोखिम का सामना करना पड़ता है, जिसमें हिंसा का शिकार होने, हृदय रोग, स्तन कैंसर जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं शामिल हैं। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं पर नशा अधिक हावी होता है जो उन्हें अधिक असुरक्षित बना सकता है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

%d bloggers like this: