प्रभाकरण की नियुक्ति पर चर्चा का अनुरोध ठुकराये जाने पर कानून का सहारा ले सकते हैं भूटिया

कोलकाता, भारत के पूर्व कप्तान बाईचुंग भूटिया ने सोमवार को कहा कि अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के यहां कार्यकारी समिति की बैठक के दौरान शाजी प्रभाकरण को महासचिव नियुक्त करने पर चर्चा का उनका अनुरोध अस्वीकार करने के बाद वह कानूनी विकल्पों का सहारा ले सकते हैं।

प्रभाकरण फुटबॉल दिल्ली के प्रतिनिधि के तौर पर निर्वाचक मंडल में शामिल थे। पूर्व भारतीय गोलकीपर कल्याण चौबे ने दो सितंबर को अध्यक्ष पद के चुनाव में भूटिया को 33-1 मतों से हरा दिया था और इसके एक दिन बाद ही प्रभाकरण को एआईएफएफ महासचिव नियुक्त कर दिया गया।

भूटिया ने आरोप लगाया था कि मतदाता को महासंघ में वेतनभोगी पद पर नियुक्त करना ‘सौदेबाजी’ है। उन्होंने एआईएफएफ से सोमवार को यहां हुई कार्यकारी समिति की बैठक में प्रभाकरण की नियुक्ति का एजेंडा शामिल करने का अनुरोध किया था।

भूटिया ने पीटीआई से कहा, ‘‘मैंने आज एआईएफएफ कार्यकारी समिति की बैठक में हिस्सा लिया लेकिन शाजी की महासचिव पद पर नियुक्ति पर चर्चा के लिये मेरा अनुरोध ठुकरा दिया गया। मैंने मुद्दा उठाया, लेकिन उन्होंने कहा कि वे केवल एजेंडे पर ही ध्यान लगायेंगे और इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं होगी। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं बहुत निराश हूं। मैंने दो-तीन दिन पहले ही यह अनुरोध किया था लेकिन इसे बैठक के एजेंडे में शामिल नहीं किया गया। ’’

यह पूछने पर कि वह इस मामले में कानून का सहारा लेंगे तो भूटिया ने कहा, ‘‘मैं इस विकल्प को रखूंगा। मैं इस बारे में सलाह लूंगा और भविष्य की कार्रवाई पर फैसला करूंगा। ’’

एआईएफएफ के एक अधिकारी ने हालांकि कहा कि भूटिया ने प्रभाकरण की नियुक्ति का मुद्दा कार्यकारी समिति की बैठक के दौरान नहीं उठाया था और अगर वह चाहते तो ऐसा कर सकते थे क्योंकि पिछली बैठक के प्रस्तावों को सर्वसम्मिति से पास किया गया था।

इस बैठक में हिस्सा लेने वाले अधिकारी ने कहा, ‘‘प्रभाकरण की नियुक्ति तीन सितंबर को नयी दिल्ली में हुई पहली कार्यकारी बैठक के दौरान की गयी थी और आज उस फैसले को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘वह (भूटिया) वहां थे, जब पिछली बैठक के प्रस्तावों को पास किया गया था। वह चुप रहे और उन्होंने यह मुद्दा (प्रभाकरण की नियुक्ति) नहीं उठाया। अगर वह इस मुद्दे को उठाना चाहते थे तो ऐसा कर सकते थे, जब पिछली बैठक के एजेंडे को उठाया गया था। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। ’’

भूटिया ने कहा, ‘‘वह (प्रभाकरण) एआईएफएफ चुनावों में मतदाता थे, (कल्याण) चौबे के चुनावी एजेंट और एक संघ (फुटबॉल दिल्ली) के अध्यक्ष थे। उन्हें वेतन वाले पद पर नियुक्त करना गलत मिसाल कायम करेगा। ’’

भूटिया ने कहा, ‘‘मुझे इस पर कोई आपत्ति नहीं होती, अगर उन्हें मानद पर नियुक्त किया गया होता। अगली बार लोग चुनाव के बाद वेतन वाला पद हासिल करने के लिये मत से सौदेबाजी करेंगे। ’’

भूटिया ने साथ ही यह भी कहा कि एआईएफएफ का भारतीय महिला अंडर-17 टीम को बार्सिलोना भेजने का फैसला खिलाड़ियों के लिये फायदेमंद साबित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि एआईएफएफ को 11 से 30 अक्टूबर तक होने वाले अंडर-17 महिला विश्व कप से पहले अन्य राष्ट्रीय टीमों को भारत में खेलने के लिये आमंत्रित करना चाहिए था।

उन्होंने कहा, ‘‘बार्सिलोना का मौसम भारत से काफी अलग है। टीम अंडर-17 विश्व कप में भुवनेश्वर में खेलेगी जहां उमस और गर्मी है और आप खिलाड़ियों को बार्सिलोना जैसी ठंडी जगह भेज रहे हो। इससे भारतीय टीम को क्या फायदा होगा?’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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