प्रिंस चार्ल्स रवांडा का दौरा करने वाले ब्रिटिश शाही परिवार के प्रथम सदस्य

कंपाला(यूगांडा), प्रिंस चार्ल्स रवांडा का दौरा करने वाले ब्रिटिश शाही परिवार के प्रथम सदस्य हो गये हैं। उन्होंने इस अफ्रीकी देश में एक सम्मेलन में राष्ट्रमंडल के प्रतीकात्मक प्रमुख के रूप में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का प्रतिनिधित्व किया, जहां 54 सदस्यीय समूह अनिश्चितता का सामना कर रहा है।

शाही परिवार के इतिहासकार एड ओवेंस ने कहा कि ब्रिटिश ताज के 73 वर्षीय उत्तराधिकारी को राष्ट्रमंडल को अक्षुण्ण रखने की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

उन्होंने कहा कि चार्ल्स की पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति दशकों की प्रतिबद्धता राष्ट्रमंडल के लिए लाभकारी हो सकती है जिसके सदस्यों में निचले द्वीपीय देश शामिल हैं।

ओवेंस ने कहा, ‘‘जलवायु के प्रति उनकी सक्रियता बहुत वास्तविक है। ’’

इस सप्ताह रवांडा में होने वाले सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन और करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने जैसी चुनौतियों पर चर्चा किये जाने की संभावना है।

चार्ल्स को 2018 में आधिकारिक रूप से महारानी के उत्तराधिकारी के तौर पर राष्ट्रमंडल का प्रतीकात्मक प्रमुख नामित किया गया था।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रमंडल रवांडा सहित गरीब देशों के आर्थिक हितों की सुध नहीं लेने को लेकर आलोचना का सामना कर रहा है। ब्रिटेन के ज्यादातर पूर्व उपनिवेशों के इस समूह की एक कमजोरी यह है कि ऐसे समय में यह एक व्यापार समूह नहीं है जब किसी समूह में शामिल ज्यादातर राष्ट्र आपस में व्यापार करना चाहते हैं।

युगांडा में एक सेवानिवृत्त राजनयिक जेम्स मुगुमे ने कहा, ‘‘राष्ट्रमंडल के लिए हमेशा ही यह चुनौती रही है कि विकसित देश गरीब देशों को आर्थिक रूप से खुद को सुदृढ़ करने में कैसे मदद कर सकते हैं। ’’

रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागमे ने मंगलवार को कहा था, ‘‘हमें यह अवश्य सुनिश्चित करना है कि कोई भी देश पीछे नहीं छूटे। जब हम राष्ट्रमंडल की बात करते हैं तो इसका मतलब राष्ट्रमंडल है ना कि 54 देशों में महज कुछ देश। ’’

राष्ट्रमंडल के सदस्यों में भोगौलिक रूप से विशाल देश भारत से लेकर छोटे से देश तुवालु तक है। यह समूह नयी चुनौतियों का सामना कर रहा है क्योंकि कुछ देश इसके प्रमुख पद से महारानी को हटाने की मांग कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि बारबाडोस ने पिछले साल नवंबर में ब्रिटिश शाही परिवार से नाता तोड़ लिया था और कई अन्य कैरिबियाई देशों ने भी इसी राह पर चलने की योजना होने की बात कही है।

गणतंत्र होने पर ही देशों के राष्ट्रमंडल में बने रह सकने के प्रावधान ने एक ऐसे संगठन को लेकर अनिश्चिता पैदा कर दी है, जिसे महारानी की व्यक्तिगत प्रतिबद्धता ने एकजुट रखा हुआ है।

युगांडा के डेली मॉनिटर अखबार के एक स्तंभ में विश्लेषक निकोलस सेनगोबा ने कहा, ‘‘इस साल के मेजबान देश पर गौर करें। रवांडा ब्रिटेन का उपनिवेश नहीं था बल्कि बेल्जियम का था…। ’’ रवांडा 2009 में राष्ट्रमंडल में शामिल हुआ था।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Associated Press (AP)

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