बाल श्रमिकों को रोजगार देने वाली इकाइयों का निरीक्षण करने के लिए समिति बनाएं : उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस, सरकार और नगर निगम (एससीडी) को निर्देश दिया कि वे प्रत्येक जिले में उन परिसरों का निरीक्षण करने के लिए एक समिति बनाएं जहां बाल श्रमिकों को नियुक्त किया जा रहा है और की गई कार्रवाई पर एक रिपोर्ट दर्ज करें।

             उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि इन इकाइयों में काम करने वाले नाबालिगों को बचाया जाए और उनका पुनर्वास किया जाए। अदालत ने कहा कि जिन बच्चों को स्कूलों में पढ़ना चाहिए था, उन्हें इन जगहों पर काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।

             मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा, “पैसे और लाभ के लालच में, कारखानों के बेईमान मालिक बच्चों को काम पर रखते हैं क्योंकि उन्हें न्यूनतम मजदूरी से कम भुगतान करना पड़ता है।’’

             पीठ ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21ए (शिक्षा का अधिकार) की प्रशंसनीय वस्तु को पूरी तरह से हवा में उड़ा दिया गया है। उच्च न्यायालय का यह आदेश एनजीओ ‘‘बचपन बचाओ आंदोलन” की याचिका पर आया।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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