भारतीय मूल के दक्षिण अफ्रीकी कमेंटेटरों ने बावुमा के नेतृत्व कौशल की तारीफ की

जोहानिसबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में भारतीय मूल के दो क्रिकेट कमेंटेटरों ने भारत के खिलाफ एकदिवसीय श्रृंखला में 3-0 से जीत के दौरान तेम्बा बावुमा के कुशल नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि उनके शांत व्यवहार ने बदलाव के दौर से गुजर रही टीम में ‘स्थिरता’ लाई है।

कमेंटेटर असलम खोटा और फरीद डॉकराट ने कहा कि बावुमा ने दक्षिण अफ्रीका टीम के कप्तान के रूप में एक सराहनीय काम किया, जो देश के कुछ महान खिलाड़ियों के संन्यास के बाद बदलाव के दौर से गुजर रही है।

दोनों कमेंटेटरों ने पूर्व कप्तानों ग्रीम स्मिथ और एबी डिविलियर्स के साथ-साथ वर्तमान कोच मार्क बाउचर के खिलाफ उनके खेल के दिनों में रंगभेद के आरोपों से देश के क्रिकेट के प्रभावित होने के बाद टीम में स्थिरता लाने की बावुमा की क्षमता का उल्लेख किया।

रंगभेद के दौर में दक्षिण अफ्रीका के लिए खेलने के अवसर से वंचित रहने वाले खोटा ने कहा, ‘‘ वनडे टीम में कप्तान और बल्लेबाज के तौर पर उनकी मौजूदगी काफी अहम थी। मेरे लिए उनका शांत व्यवहार और कई बार चतुराई से लिये गये फैसले भारत पर 3-0 एकदिवसीय जीत का मुख्य आकर्षण था।’’

एकदिवसीय श्रृंखला से पहले दक्षिण अफ्रीकी टीम ने टेस्ट श्रृंखला को 2-1 से अपने नाम किया था और खोटा ने कहा कि इसमें भी बावुमा का योगदान सराहनीय रहा था।

उन्होंने कहा, ‘‘ टेस्ट मैचों के दौरान दक्षिण अफ्रीका के मध्य क्रम में बावुमा का शांत व्यवहार उनके प्रदर्शन के लिए महत्वपूर्ण था। इसने टीम को आखिर में विजेता बनाने में मदद की।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ बावुमा काफी नाजुक मौके पर टीम की कमान संभाल रहे है।  इस समय मैदान के बाहर के मुद्दे (नस्लवाद और अन्य विवाद) हावी रहे थे।

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उन्होंने कहा, ‘‘ दक्षिण अफ्रीका वनडे क्रिकेट में सबसे अच्छी स्थिति में नहीं है कि अगर टीम शीर्ष आठ में नहीं रहती है तो उसे विश्व कप के लिए क्वालीफायर खेलना होगा। इसलिए, यह दक्षिण अफ्रीका के लिए 50 ओवर के प्रारूप में अहम समय है। बावुमा निश्चित तौर पर 2023 विश्व कप तक टीम के कप्तान रहेंगे।’’

खोटा की टिप्पणियों से सहमति जताते हुए, खेल प्रसारक डॉकराट ने कहा कि क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका में बदलाव के दौर की प्रक्रिया में बावुमा को कप्तानी का जिम्मा देने का फायदा हो रहा है।

उन्होंने कहा, ” सीएसए को लगातार रन बनाने वाले शीर्ष क्रम के अश्वेत बल्लेबाज की जरूरत थी। लेकिन उनके चतुर नेतृत्व और रणनीति ने एक और चुनौती का समाधान कर दिया। ’’

उन्होंने रंगभेद के कारण लंबे समय तक अश्वेत खिलाड़ियों को कप्तान नहीं बनाने का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ शुरुआत में सफेद गेंद के खिलाड़ी के तौर पर बावुमा की क्षमता पर संदेह किया गया था। कुछ  लोगों ने उनके छोटे कद पर सवाल उठाया, उन्होंने न केवल उन गलतफहमी को दूर किया, बल्कि रनों की बौछार के साथ टीम में अपनी जगह भी पक्की कर ली और अब कप्तानी क्षमता से प्रभावित किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ भारत के खिलाफ 3-0 की यादगार जीत में एक कप्तान के रूप में बावुमा की भूमिका न्यूलैंड्स में आखिरी ओवरों में शानदार थी। उन्होंने जीत हासिल करने के लिए अपनी गेंदबाजी इकाई का बेहतर इस्तेमाल किया।

उन्होंने भारत के खिलाफ श्रृंखला से पहले यूएई में टी20 विश्व कप के दौरान बावुमा के नेतृत्व में टीम के प्रदर्शन की तारीफ की।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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