भारत में शिक्षा की चुनौतियों से निपटने में सहायता कर सकती है कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित तकनीक

नयी दिल्ली, यूनेस्को की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के इस्तेमाल से शिक्षा क्षेत्र की चुनौतियों से निपटा जा सकता है और प्रौद्योगिकी की सहायता से सामाजिक तथा आर्थिक असमानता को कम करने में मदद मिल सकती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एआई आधारित तकनीक जैसे कि ‘इमेज रिकग्निशन’ और ‘कंप्यूटर विजन’ से शिक्षकों को बड़ी कक्षाओं में छात्रों का मूल्यांकन करने में मदद मिल सकती है और इसके लिए स्कूल प्रबंधन प्रणाली में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया है।

संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की रिपोर्ट का शीर्षक है “भारत में शिक्षा की स्थिति रिपोर्ट 2022: शिक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता।”

रिपोर्ट में कहा गया है कि सामाजिक आर्थिक असामनता को कम करने में प्रौद्योगिकी एक बड़ी भूमिका निभा सकती है क्योंकि अधिक आय वाले लोगों द्वारा अपने बच्चों को इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संबंधित पाठ्यक्रम पढ़ाने की संभावना (39.1 प्रतिशत) प्रबल है।

अध्ययन में कहा गया है, “भारत में एआई का बाजार 20.2 प्रतिशत की दर के साथ 2025 तक 7.8 अरब डॉलर का होने की संभावना है। इसके अलावा चूंकि सूचना प्रौद्योगिकी और डेटा साइंस उद्योग का बाजार बढ़ रहा है इसलिए भारत में एआई की शिक्षा और अधिक प्रासंगिक होती जा रही है।”

इस रिपोर्ट में कहा गया कि 2018 में सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग ने भारत में एआई शिक्षा के महत्व को समझा और इसे राष्ट्रीय प्राथमिकता के तौर पर देखा।

रिपोर्ट में कहा गया, “भारत में एआई सॉफ्टवेयर का बाजार 18.1 प्रतिशत सीएजीआर की दर से बढ़कर 2025 में 6.4 अरब डॉलर का हो जाएगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग के जरिये एआई सॉफ्टवेयर निर्माण की दिशा में एआई का क्षेत्र भी अहम होगा।”

यूनेस्को के निदेशक एरिक फाल्ट ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाना और छात्रों में सीखने की प्रवृत्ति विकसित करना सभी देशों की प्राथमिकता में सबसे ऊपर है। फाल्ट ने कहा कि भारत ने शिक्षा व्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार किये हैं।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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