भारत में हर छह बहुआयामी गरीबों में पाच निम्न जनजातियों या जातियों से हैं : संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र, भारत में छह बहुआयामी गरीबों में पांच निम्न जनजातियों या जातियों से हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा बृहस्पतिवार को जारी की गयी वैश्विक बहुआयामी गरीबी पर नयी विश्लेषण रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आयी है।

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) तथा गरीबी पर ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल की रिपोर्ट में यह बात कही गयी है।

उसमें कहा गया है, ‘‘ भारत में छह बहुआयामी गरीबों में छह में से पांच निम्न जनजातियों या जातियों से हैं। अनुसूचित जाति कुल जनसंख्या का 9.4 प्रतिशत है और वह सबसे अधिक निर्धन है तथा 12.9 करोड़ में 6.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी में रह रहे हैं। वे भारत में बहुआयामी गरीबी में रह रहे लोगों का छठा भाग हैं।’’

अनुसूचित जनजाति के बाद अनुसूचित जाति समूह आता है जो कुल आबादी का 33.3 प्रतिशत हैं। उनकी संख्या 28.3 करोड़ हैं जिनमें से 9.4 करोड़ बहुआयामी गरीबी में जीवन-यापन कर रहे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार अन्य पिछड़ा वर्ग कुल जनसंख्या का 27.2 प्रतिशत है । उनकी संख्या 58.8 करोड़ है जिनमें 16 करोड़ बहुआयामी गरीबी में गुजर-बसर कर रहे हैं। वैसे तो उनमें गरीबी कम है लेकिन उसकी तीव्रता अनुसूचित जाति की तुलना में समान ही है।

इसमें कहा गया है, ‘‘ कुल मिलाकर, भारत में भारत में छह बहुआयामी गरीबों में पांच ऐसे परिवारों में रहते हैं जिनके मुखिया अनुसूजित जनजाति, अनुसूचित जाति या अन्य पिछड़ा वर्ग से है। ’’

वैश्विक रूप से जिन 1.3 अरब बहुआयामी गरीबों पर यह अध्ययन किया गया, उनमें दो तिहाई यानी 83.6 करोड़ लोग ऐसे घरों में रहते हैं जहां महिला सदस्यों ने छह साल की स्कूली पढाई पूरी की है।

शिक्षा से महिलाओं को दूर रखने का दुनियाभर में समाजों पर दूरगामी प्रभाव पड़ा है।

इन 83.6 करोड़ लोगों में ज्यादातर उपसहारा अफ्रीका (36.3 करोड़), दक्षिण एशिया (35 करोड़) में रहते हैं। भारत में 22.7 करोड़, पाकिस्तान में 7.1 करोड़, इथियोपियों में 5.9 करोड़, चीन में 3.2 करोड़ बाग्लादेश में तीन करोड़ में हैं।

इस रिपोर्ट के अनुसार जिन पांच देशों में सबसे अधिक गरीब है उनमें भारत में (2015/16) 38.1 करोड़, नाईजीरिया में (2018) 9.3 करोड़, पाकिस्तान में (2017/18) 8.3 करोड़, इथियोपिया में 7.7 करोड़, कांगो गणराज्य में (2017/18) 5.6 करोड़ हैं।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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