मक्की को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने में बाधा पहुंचाना चीन के दोहरे मापदंड का संकेत: सरकारी सूत्र

नयी दिल्ली, संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति के तहत पाकिस्तानी आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के भारत और अमेरिका के संयुक्त प्रस्ताव को रोकने का चीन का फैसला आतंकवाद का मुकाबला करने के उसके दावे के विपरीत है और उसके ‘‘दोहरे मापदंड’’ का संकेतक है। सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को यह बयान दिया।

सूत्रों ने कहा कि ऐसे खूंखार आतंकवादियों को प्रतिबंधों से बचाना न केवल चीन की साख को कमजोर करेगा, बल्कि आतंकवाद के बढ़ते खतरे के बीच उसे भी इस ‘जोखिम’ का सामना करना पड़ेगा।

उन्होंने बताया कि मक्की भारत, खासकर जम्मू-कश्मीर, में हिंसा और हमलों को अंजाम देने के लिए योजना बनाने, धन जुटाने, गुर्गों की भर्ती करने और युवकों को कट्टरपंथी बनाने जैसे कृत्य में शामिल है।

भारत और अमेरिका ने एक जून को संयुक्त रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अल-कायदा और 1267 आईएसआईएल प्रतिबंध समिति के तहत मक्की को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा था। भारत और अमेरिका अपने घरेलू कानूनों के तहत पहले ही मक्की को आतंकवादी घोषित कर चुके हैं।

चीन ने मक्की को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने के प्रस्ताव को ‘‘तकनीकी’’ आधार पर बाधित किया। प्रस्ताव में इसके जरिये लगी रोक छह महीने तक जारी रह सकती है।

सूत्र ने कहा, ‘‘मक्की के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने के बावजूद चीन का यह फैसला बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। साथ ही यह चीन के आतंकवाद से निपटने के दावों के विपरीत है।’’

चीन ने ऐसा पहली बार नहीं किया है। जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को ‘‘वैश्विक आतंकवादी’’ घोषित करने के प्रयासों में भी चीन ने कई बार अड़ंगा डाला था।

सूत्र ने कहा, ‘‘चीन को अपने रुख पर विचार करना चाहिए, जो आतंकवाद का मुकाबला करने के उसके दोहरे मापदंडों को दर्शाता है। इस तरह खूंखार आतंकवादियों को प्रतिबंधों से बचाने से केवल उसकी साख कमजोर होगी और आतंकवाद के बढ़ते खतरे के बीच वह खुद को भी जोखिम में डालेगा।’’

सूत्रों ने बताया कि मक्की लश्कर-ए-तैयबा और जमात उद-दावा के राजनीतिक मामलों का प्रमुख है और उसने लश्कर के विदेशी मामलों के विभाग प्रमुख के रूप में भी काम किया है।

सूत्रों ने बताया कि लश्कर-ए-तैयबा ने भारत में बड़े हमलों को अंजाम दिया है, जिसमें 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले, 2000 में लाल किला हमला, जनवरी 2008 में रामपुर स्थित केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के शिविर पर हमला, 2018 में खानपोरा (बारामूला) हमला, जून 2018 में श्रीनगर हमला और 2018 में गुरेज/बांदीपुरा हमला शामिल है।

मक्की को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति के सभी सदस्यों को अनापत्ति प्रक्रिया के तहत 16 जून तक दे दिया गया था।

सूत्र ने कहा, ‘‘खेद है कि 16 जून को चीन ने इस प्रस्ताव पर ‘‘तकनीकी रोक’’ लगा दी। इस रोक को हटाए जाने तक प्रस्ताव को पारित नहीं किया जा सकता।’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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