राज्य प्रायोजित मुकदमों को रोकने पर न्यायपालिका की आधी समस्याओं का समाधान हो जायेगा: न्यायमूर्ति रमण

हैदराबाद, भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण ने शनिवार को सरकार को ‘‘ सबसे बड़ा वादकारी’’ करार दिया। उन्होंने कहा कि यदि राज्य प्रायोजित मुकदमों को रोकने का फैसला किया जाता है तो न्यायपालिका की आधी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।

न्यायमूर्ति रमण ने ‘आईएसबी लीडरशिप समिट-2022’ को संबोधित करते हुए अफसोस जताया कि आजादी के 75 साल बाद भी देश की न्यायिक अवसंरचना ‘‘परेशान’’ करने वाली है।

उन्होंने याद किया, ‘‘गत अप्रैल में मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन के दौरान मुझे इन समस्याओं के बारे में अपने विचार रखने का अवसर मिला था। जैसे कि मैंने माननीय प्रधानमंत्री की उपस्थिति में कहा था कि एक सबसे बड़ी चिंता यह है कि सरकार सबसे बड़ी वादी है।’’

न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘अंतर-विभागीय विवाद, सेवा संबंधी मामले और अधिकारियों के संवाद से जुड़े अवरोध भयावह है। न्यायपालिका की आधी समस्या उसी समय हल हो जाएगी, जब सरकार राज्य प्रायोजित मुकदमों को रोकने का फैसला करेगी।’’

उन्होंने बताया कि भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के तौर पर अपने 16 महीने के कार्यकाल में उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम शीर्ष अदालत में 11 न्यायाधीशों की नियुक्ति सुनिश्चित कर सका और उनके द्वारा नामांकित 255 लोगों में से 233 पहले ही नियुक्त किए जा चुके हैं।

न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि उनकी समझ के अनुसार व्यावसायिक छात्रों को संविधान की भी समझ होनी चाहिए।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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