रामचरितमानस विवाद : राजद मंत्री से नाराज और अपने सहयोगी कुशवाहा के जुझारूपन से नाखुश हैं नीतीश

पटना, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को खुलासा किया कि उन्होंने अपने कैबिनेट सहयोगी और राजद के वरिष्ठ नेता चंद्रशेखर, जिनकी रामचरितमानस के बारे में विवादास्पद टिप्पणी से महागठबंधन सरकार की शर्मिंदगी हुई है, को अपनी नाराजगी से अवगत करा दिया है।

जदयू सुप्रीमो संसदीय बोर्ड के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा, जिन्होंने हाल ही में यह कहा था कि राजद मंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने से परहेज किए जाने से ‘‘भाजपा के एजेंडे को आगे बढ़ाने’’ को बल मिलेगा, से भी नाराज दिखे।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह सब फालतू चीजें हैं। धर्म के मामले में किसी को किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। हिंदू मुस्लिम, सिख, इसाई कोई भी धर्म हो, किसी को भी इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। यह सही बात नहीं है। जिन्होंने इस तरह की बातें कहीं है उनको उपमुख्यमंत्री ने भी कह ही दिया है। जिसको जैसे मन करता है वो वैसे पूजा करता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सभी धर्म के लोगों को अपने-अपने ढंग से पूजा करने का अधिकार है। कोशिश करनी चाहिए कि आपस में किसी तरह का कोई विवाद नहीं हो। हमलोगों की कोशिश के फलस्वरुप बिहार में आपसी विवाद न के बराबर होते हैं।’’

नीतीश ने कहा, ‘‘धर्म के मामले में अगर कोई बोलता है तो मुझे ठीक नहीं लगता है। हम इन सब मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या मंत्री को अपना बयान वापस ले लेना चाहिए, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हम उनको यह बात कह चुके हैं। अब तो उनकी पार्टी की तरफ से भी कह दिया गया है। इन सब बातों पर आपलोग ज्यादा चर्चा मत किया कीजिए।’’

नीतीश अरवल और जहानाबाद जिलों में अपनी समाधान यात्रा के दौरान पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे।

जदयू और राजद के इस मुद्दे पर अलग होने की अटकलों के बारे में पूछे जाने पर नीतीश ने कहा, ‘‘ऐसी कोई बात नहीं है। किसी व्यक्ति विशेष के दिमाग में कोई बात आती है और वह कोई बात बोल देता है। इसका मतलब यह नहीं है कि गठबंधन और पार्टियों में किसी तरह का कोई (मतभेद) बात है।’’

जदयू नेता से उनके असंतुष्ट राजनीतिक सहयोगी कुशवाहा के हालिया बयानों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आपको बता देंगे। ऐसी कोई बात नहीं है। हमारी पार्टी में इन सब बातों का कोई मतलब नहीं है। कौन क्या बोल रहा है, हमसे मिलेंगे तो हम उनसे पूछ लेंगे।’’

उल्लेखनीय है कि जदयू के अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कुशवाहा की व्यंग्यात्मक टिप्पणी को खारिज कर दिया था कि राजद द्वारा चंद्रशेखर और अपने अन्य स्वच्छंद नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने की अनिच्छा को, केन्द्र की सत्ता में मौजूद भाजपा के साथ राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और उनके छोटे पुत्र यादव सहित परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ सीबीआई, ईडी आदि द्वारा दर्ज किए गए कई मामले को लेकर एक मौन सौदेबाजी के रूप में माना जा सकता है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री कुशवाहा ने दो साल से भी कम समय पहले अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जदयू में विलय कर दिया था और उन्हें जदयू में पार्टी के शीर्ष पद और विधान परिषद सदस्य बनाकर तुरंत पुरस्कृत किया गया था।

ऐसा समझा जाता है कि नीतीश ने हाल ही में यह स्पष्ट कर दिया था कि प्रदेश में नई महागठबंधन सरकार बनने से पहले अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी रहे लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी यादव जिन्हें उन्होंने अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है, के अलावा कोई अन्य उपमुख्यमंत्री नहीं होगा।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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